यूसीसी के नाम पर पहचान, मूल्य, सिद्धांत से समझौता स्वीकार नहीं : कुलविंदर
जमशेदपुर। राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के संयोजक एवं अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा है कि यूसीसी (समान नागरिक संहिता) के नाम पर पहचान सिद्धांत परंपरा एवं जीवन मूल्य से किसी प्रकार का समझौता सिख स्वीकार नहीं करेंगे। विधि आयोग द्वारा पिछले एक महीने से इस मामले में ऑनलाइन राय मांगी जा रही है, जो नागरिकों के साथ बहुत ही घटिया मजाक है। केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय एवं विधि आयोग द्वारा नागरिक के समक्ष सरकार की मंशा को दर्शाते हुए ड्राफ्ट भेजा जाना चाहिए था और इसमें नागरिकों से राय ली जानी चाहिए थी।भारतीय संविधान में नागरिकों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक अधिकार स्पष्ट रूप से वर्णित है और इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप राज्य की ओर से नहीं किया जा सकता है। संविधान सभा की बैठक में अल्पसंख्यकों को लेकर भी स्पष्ट राय दी गई है। केंद्र सरकार यदि सचमुच में ईमानदारी से समान नागरिक संहिता लागू करना चाहती है तो वह भारत के विभिन्न राज्य एवं हिस्सों में बसे सनातन धर्मी लोगों के विवाह, उत्तराधिकार, गोद, संपति जैसे मामलों में एक राय बनाने और कानून देने की पहल करे।
विवाह प्रथा को लेकर ही आर्य एवं द्रविड़ की बात छोड़ दे तो उत्तर भारत के राज्यों में ही अलग-अलग व्यवस्था देखने को मिलती है। सिखों का संस्कार, विवाह किसी भी तरह से बहुसंख्यक के साथ मेल नहीं खाता है। भारत विविधता में एकता एवं बहुलवादी संस्कृति, परंपरा, विरासत, विश्वास प्रथा का देश है और ऐसे में किसी पर यूसीसी के नाम पर मनमर्जी थोपना लोकतंत्र के सिद्धांत एवं संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ सरकार का फैसला होगा।
कुलविंदर सिंह के अनुसार सत्ता भोगी सत्ता लोलुप एवं पूर्व सांसद तथा अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपसभापति त्रिलोचन सिंह तथा पूर्व विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा केंद्र सरकार को भ्रमित कर रहे हैं। वे पूर्णरूपेण सिखों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इन दोनों का इतिहास देख ले तो समझ में आ जाएगा कि सत्ता की जी हजूरी के लिए दिल और दल बदलने में इन्होंने देरी नहीं की है।
केंद्र सरकार सिखों के मामले में पूर्व न्यायाधीशों, सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, सिख दर्शन शास्त्रियों एवं बुद्धिजीवियों से विचार विमर्श करने के बाद ही सिखों के धार्मिक मामले पर कोई फैसला लेने का काम करें।
कुलविंदर सिंह के अनुसार इतिहास गवाह है कि मुगलों के अन्याय से मुकाबला करने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने विशिष्ट पहचान और संस्कार खालसा पंथ को दिए हैं और इसकी रक्षा के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने को सिख तैयार रहेगा। देश की आजादी तथा अखंड एवं आधुनिक भारत के निर्माण में सिखों की बड़ी भूमिका रही है और इनकी भावनाओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।