बिहार पुल हुआ धराशाह :एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन से नीतीश सरकार की ऐसी क्या है यारी, बिहार का वह कौन सा अफसर जो कूट रहा माल?
राजेश कुमार झा
भागलपुर: बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में अगवानी गंगा घाट पर बन रहा पुल भ्रष्टाचार का प्रतीक बनकर उभरा है। खगड़िया और भागलपुर को जोड़ने वाला भ्रष्टाचार का सेतु रविवार शाम को भरभरा कर नदी में बह गया। इस घटना में पुल का करीब 400 मीटर का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ। गनीमत यह रही कि इसमें किसी की जान जाने की अभी तक कोई सूचना नहीं है। हालांकि आरोप लग रहे हैं कि वहां गार्ड की ड्यूटी करने वाला शख्स हादसे के बाद से लापता है। पुल के आसपास मौजूद सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि इस घटना में उनके कई लोग लापता हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन की ओर से छुपाने की कोशिश की जा रही है।
दरअसल, भ्रष्टाचार के इस पुल को लेकर अब तक कई तरह की चर्चाएं होने लगी है। चर्चाएं यह है कि इस पुल के निर्माण में धांधली और भ्रष्टाचार का एक बड़ा हिस्सा स्कूल का कॉन्ट्रैक्ट देने वाले अधिकारी के पास पहुंचा है। यह भी आरोप लग रहे हैं कि इस पुल में भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा सौंपने में भी धांधली हुई है।बताया जा रहा है की सिंगला नाम की कंपनी को इस पुल के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट उस वक्त दिया गया जब यह कंपनी टेंडर लेने के लिए लिस्टेड ही नहीं थी। इतना ही नहीं यह कंपनी प्रतिबंधित थी, बावजूद एसपी सिंगला को पुल निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। अब यह सवाल उठता है कि आखिर किसके इशारे पर या किसके दबाव में यह कॉन्ट्रैक्ट उस कंपनी को दी गई जो लिस्टेड ही नहीं थी।
भ्रष्टाचार की कहानी यहीं खत्म होती है। 14 महीने पहले भी यह पुल हवा के झोंके से जमींदोज हो गई थी। मगर, भ्रष्ट अधिकारी एसपी सिंगला के टेंडर को बचाने में लगे हुए हैं। ताकि 600 करोड़ से शुरू हुआ यह पुल 1700 करोड़ से 2700 करोड़ तक पहुंच जाए। और इसके एवज में उस अधिकारी को भ्रष्टाचार का हिस्सा मिलता रहे। दरअसल, नवभारत टाइम्स.कॉम अभी उस अधिकारी का नाम नहीं लेना चाहता है। लेकिन इस अधिकारी पर लंबे समय से बिहार सरकार में बैठकर भ्रष्टाचार का पूरा धंधा चलाने का आरोप है।
भ्रष्टाचार का पूरा तंत्र इसी अधिकारी के आसपास से होकर गुजरता है, जिसमें कई सफेदपोश चेहरे भी शामिल हैं। इनमें कुछ पत्रकारों के भी नाम होने के आरोप लग रहे हैं। लिहाजा यह नाम खुलकर सामने नहीं आ रहा है। मगर इस नाम की कारस्तानी और इसके चर्चे खगड़िया और भागलपुर के लोगों की जुबान पर है।
हर दूसरा आदमी इस भ्रष्ट अधिकारी की कहानी सुनाने को है तैयार
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिहार के मुख्यमंत्री और विकास पुरुष कहे जाने वाले नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी भी शामिल हैं। यह आईएएस अधिकारी इन दिनों टेंडर बांटने का काम कर रहे हैं। टेंडर उन्हीं को दिए जा रहे हैं, जो उन्हें उनके भ्रष्ट होने की मुंह मांगी कीमत उन तक पहुंचा रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर जिस पुल को 2019 के नवंबर में ही पूरा हो जाना था वह अब तक क्यों पूरा नहीं हो सका। भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा में में डूबा यह सुल्तानपुर अगुआनी पुल 14 महीनों में दो बार नहीं टूटता। नियम तो यह कहते हैं कि पुल की गुणवत्ता खराब होने पर कंपनी को तुरंत ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है। मगर यह सिंगला कंपनी अभी भी काम कर रही है।
इससे पहले परबत्ता विधायक डॉक्टर संजीव कुमार ने विधानसभा में इस पुल में हो रहे भ्रष्टाचार को रख चुके हैं। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बताते चलें इस पुल के उद्धाटन की तारीख 8 बार बदली जा चुकी है। अब पुल का 400 मीटर का हिस्सा टूटने के बाद 9वीं बार बदलना तय है।
पहली तारीख 1 नवंबर 2019 तक की गई। फिर इसे बढ़ाकर 20 दिसंबर 2020 किया गया। इसके बाद पुल के उद्धाटन की तारीख 30 जून 2021 तय की गई। भ्रष्टाचार की भूख अब भी शांत नहीं हुई। इस पुल के निर्माण की अगली तारीख 30 मार्च 2022 तय किया गया। फिर 30 दिसंबर 2022 की तारीख दी गई। नया साल आया अब 30 मार्च 2023 की तारीख दी गई। माना जा रहा था कि अब यह भ्रष्टाचार का पुल स्थानीय लोगों की समस्या का समाधान कर देगा। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों का काला ग्रहण अभी भी इस पुल पर लगा हुआ था। इस पुल के उद्धाटन की तारीख तीन महीने और बढ़ाई गई। 30 जून 2023 का मूहूर्त निकाला गया। मगर यह तारीख भी फेल हो गई। अंतिम तारीख 31 दिसंबर दिया गया। ताकि अरबों रुपये के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को भ्रष्टाचार का और मौका मिल जाए। लेकिन इस तारीख के आने से पहले यह भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा पुल हवा के हल्के झोंके से ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।
अब स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसमें चार साल से भ्रष्टाचार हो रहा है। पुल का हर पाया और हर बुनियाद घटिया गुणवत्ता के बनाए गए हैं। नवभारत टाइम्स.कॉम की टीम के सामने स्थानीय लोगों की ओर से लगाए गए आरोप गंभीर हैं। स्थानीय सुरेंद्र यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक करीबी अधिकारी है, जिसने सिंगला कंस्टक्शन नाम की इस कंपनी को टेंडर दिया। अब जब पुल टूटा है तो उसकी जांच की रिपोर्ट भी उसी अधिकारी के पास जानी है।
सुरेंद्र यादव का कहना है इस घटना के पहले 14 महीने पहले भी यह पुल टूट कर गिर चुका है। इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुरेंद्र यादव कहते हैं कि इस मामले में आरटीआई भी लगाई गई है, जिसका जवाब ठीक से नहीं दिया जाता है। अब इस भ्रष्ट अधिकारी के पास ही जांच और कार्रवाई की जिम्मेदारी भी है। सुरेंद्र का कहना है कि अब ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है जब हत्यारे को ही जज बना दिया जाएगा तो वो क्या खुद को सजा देगा?