अर्जुन देव जी के 417वां शहीदी दिवस पर सिख समुदाय के लोगों ने किया चना प्रसाद एवं शरबत वितरण
जमशेदपुर । सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी का 417वां शहीदी दिवस पर सिख समुदाय के लोगों ने आज मंगलवार को गुवा के गुरुद्वारा में चना प्रसाद एवं शरबत वितरण किया। इस दौरान सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव का 417वां शहीदी दिवस सह छबील पर्व हर्षोल्लास से मनाया। लाहौर में मुगल बादशाह जहांगीर ने घोर शारीरिक यातनाएं देकर वर्ष 1606 ई. में रावी नदी में उन्हें बहा दिया था। गर्मी में राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए गुवा के गुरुद्वारा में में मीठे जल की छबीलें लगाई गई। सुबह 10 बजे से राहगीरों को मीठे जल एवं चना प्रसाद की सेवा प्रदान कर उनकी प्यास के साथ भूख भी बुझाई गई।सिखों के पांचवें गुरु एवं शहीदी के सरताज गुरु अर्जुन देव का शहीदी गुरु पर्व को गुवा शहर में उल्लास एवं श्रद्धा से मनाया गया। शहर में सिख संगतों द्वारा मीठे सरबत की छबीलें लगाकर अपने गुरु की शहीदी के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई। इस मौके पर गुरुद्वारा के ग्रंथी दिलबाग सिंह ने बताया कि गुरु अर्जुन देव ने भाई गुरुदास की मदद से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की संपादना की।श्री गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 5894 गुरु बाणी के शब्द हैं, जिनमें 2216 गुरु बाणी के शब्द गुरु अर्जुन देव के जिनमें सुखमणि साहिब सबसे सरस एवं मन को शांति देने वाली बाणी है। उन्होंने बताया कि महाराजा अकबर अपने समय में गुरु अर्जुन देव के प्रति जितना आदर एवं स्नेह रखते थे, उसके विपरीत अकबर की मृत्यू के बाद उसका पुत्र जहांगीर गुरु की बढ़ रही लोकप्रियता से लगातार बौखलाए जा रहा था। उसने तरह-तरह के षड्यंत्र रचकर गुरु जी को अनेक प्रकार की यातनाएं देनी शुरू कर दी, जिसके तहत उसने गुरु अर्जुन देव को तपती तवा पर बैठाकर ऊपर से गर्म-गर्म रेत डालने का हुकम दिया।गुरु अर्जुन देव इससे जरा भी विचलित नहीं हुए तथा तेरा किया मीठा लागै-हरि नाम पदार्थ नानक मांगै कहते हुए तपती तवा पर बैठ गए तथा अनेकों प्रकार की यातनाएं सहन करते हुए 30 मई 1606 को मात्र 43 वर्ष की अल्प आयु में शहीद हो गए। इस मौके पर दिलबाग सिंह, प्रेमजीत सिंह, कमलजीत सिंह, पुनीत सिंह, सुमित सिंह, मनप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, इकबाल सिंह, तरसेम सिंह, कमलजीत सिंह, जसपाल सिंह, कल विंदर सिंह सहित अन्य मौजूद थे।