बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी सह प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि शराबबंदी वाले बिहार में आए दिन जहरीली शराब का कहर क्यों?पहले संदिग्ध परिस्थितियों मैं मौत की बात की जाती है, जब बात नहीं बनती तो अंतत: जहरीली शराब से मौत कहीं जाती है। शराबबंदी के बाद गोपालगंज में बड़े पैमाने पर हुई मौतों को पहले तो प्रशासन ने दवा ही दिया था, जब जांच हुई तो जहरीली शराब की हकीकत सामने आई। इसके बाद बेगूसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेतिया, सारण आदि कई जगह जहरीली शराब ने सैकड़ों जाने ली है। इसी की ताजा कड़ी है मोतिहारी की घटना। इसमें भी वही होगा, जो पहले की घटनाओं में होती आई है। जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आएगी। श्रीमती सिन्हा ने आगे कहा कि सवाल यह है कि आए दिन जहरीली शराब से मौतें क्यों हो रही है? दरअसल, इसके पीछे पुलिस व उत्पाद विभाग के साथ शराब माफिया की मिलीभगत है। पुलिस अगर चाहे तो क्या मजाल की उसके इलाके में शराब बिक जाए। लेकिन ऐसा नहीं होगा, क्योंकि दरोगा जी को आलीशान मकान बनाना है, कार खरीदनी है, बेटे को डोनेशन से मेडिकल-इंजीनियरिंग में एडमिशन दिलाना है। अब केवल वेतन से तो यह सब होन असंभव है। सबसे बड़ी बात यह है कि दरोगा जी पर ऊपर के भ्रष्ट अधिकारी भी निर्भर है। शराबबंदी के बावजूद लोगों को शराब की डिलीवरी होने के विषय पर पूरा महकमा चुप्पी साध रखी है। प्रशासन और पुलिस के लिए शराबबंदी असीम अवैध कमाई का जरिया बन गया है।भ्रष्टाचार की यह वैतरणी शराबबंदी की विफलता का बड़ा कारण है। आखिर इस विफलता का जिम्मेदार कौन है?जिन्होंने जहरीली शराब बेची या फिर खुद लोग जो नशे की लत का शिकार होकर खुद ही मौत के मुंह में चले गए या फिर , जो जहरीले शराब पर नकेल कसने में नाकाम है?ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार चाहे कोई भी क्यों न हो लेकिन बिहार सरकार को शराबबंदी आईना ही दिखाता है।
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