बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि देश के कुछ विपक्षी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ना चाहते हैं। उन्हें इसमें विदेशी मीडिया का भी साथ मिल रहा है, किंतु ऐसे दूषित अभियानों का मोदी की लोकप्रियता पर असर नहीं होता, बल्कि वह और मजबूत होकर उभरते हैं। इसी कड़ी में आजकल विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा पीएम मोदी को लिखे पत्र की भी काफी चर्चा हो रही है। इन नेताओं का कहना है कि सीबीआई और ईडी की करवाई सरकार के दबाव में और बिना किसी आधार के हो रही है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि फिर चाहे वह बंगाल का शिक्षा भर्ती घोटाला हो, राकांपा के नवाब मलिक का मामला हो, दिल्ली का शराब घोटाला हो, लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाला या जमीन के बदले नौकरी का घोटाला हो। कार्रवाई होते ही विपक्ष सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर देते हैं की जांच एजेंसियों द्वारा नेताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। कांग्रेस के एक बड़े नेता तो अपनी शिकायत लेकर लंदन तक पहुंच गए और ब्रिटेन और अमेरिका से दखल देने तक की मांग तक कर डाली। अच्छा यह रहा कि उन्हें किसी ने संयुक्त राष्ट्र जाने की सलाह नहीं दी। ऐसे नेताओं के आचरण पर अफसोस होता है। आगे श्रीमती सिन्हा ने कहा कि बंगाल में अपने नेता के पास से करोड़ों की नगदी, अहम दस्तावेजी सुबूत मिलने के बाद भी सीएम ममता बनर्जी अपना ही राग अलाप रही हैं। लालू यादव पहले ही सजा काट रहे हैं और फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से बाहर हैं। वहीं उनके पुत्र और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि यह सब 2024 के चुनाव तक चलता रहेगा। नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार के 2 सदस्य जमानत पर हैं। प्रश्न यह है कि क्या घोटाले उजागर होते हुए भी इन पर केवल इसलिए करवाई नहीं की जानी चाहिए कि यह विपक्षी पार्टियों का नेता है? क्या विरोधी पार्टियों को इस तरह के भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस मिल गया है? यदि ये सभी नेता सच्चे हैं तो इन्हें अपनी बेगुनाही अदालत में साबित करनी चाहिए।