मोरहाबादी मैदान में पर्यावरण मेले का उद्घाटन हुआ
रांची । राँची के मोराबादी मैदान में पर्यावरण मेला-2023 का उद्घाटन झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति, डाॅ. एस.एन. पाठक, झारखण्ड सरकार के वित्त मंत्री, श्री रामेश्वर उरांव, झारखण्ड विधानसभा के सदस्य, श्री सरयू राय एवं श्री सीपी सिंह एवं सीसीएल के सीएमडी, श्री पीएम प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया एवं मेले का अवलोकन किया। मेले में लगभग 15 हजार लोगों की भीड़ थी। मेले के दुकानांे में काफी खरीदारी हुई। लगभग 40 लाख का कारोबार हुआ है।
उद्घाटन के अवसर पर मेले के संरक्षक, श्री सरयू राय ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि प्र्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल उस समय आरंभ हुआ जब पहली बार वर्ष 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव के समय हमलोग दामोदर नदी के किनारे आस-पास के इलाकों में घूम कर चुनाव प्रचार कर रहे थे तो देखा कि दामोदर नद की दशा अत्यंत दयनीय थी। नद में पानी कम और छाई ज्यादा था। डीवीसी एवं अन्य औद्योगिक इकाईयों का कचरा दामोदर नदी में सीधे गिर रहा था और नदी को प्रदूषित कर रहा था। तब हमने नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने को ठाना और इसके लिए जन-जागरूकता अभियान चलाया। हमने नदी के उद्गम स्थल से लेकर डीवीसी के मुख्यालय, कोलकाता तक धरना-प्रदर्शन किया, संबंधित संस्थानों, अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। जिसमें युगांतर भारती सहित कई अन्य स्वयंसेवी संस्थायें हमलोगों का सहयोग किया। दामोदर नद, गंगा नदी से भी अधिक पुरानी है। नदी को साफ करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना है। नदी प्रत्येक मानसून में स्वतः साफ हो जाती है। बाकी के 7-8 महिनों में नदी को हमलोग ही गंदा करते है। वर्ष 2017 में जब मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिला तो उन्होंने कहा कि गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से नमामि गंगा एवं अन्य कई कार्यक्रम चलाये जा रहे है, जिसमें हजारो करोड़ रूपया खर्च हो रहे हैं। इस पर मैंने कहा कि हमने तो एक रूपये खर्च बिना दामोदर नदी को औद्योगिक प्रदूषण से लगभग मुक्त कर लिया है, नदी एवं नद को साफ करने के लिए पैसे की आवश्यकता नहीं है। यह सुनकर तो प्रधानमंत्री आश्चर्यचकित रह गये। हमें नदी को गंदा करनेवाले तत्वों को रोकना होगा, जिससे नदी का प्रदूषण नियंत्रित रहेगा।
आज दामोदर औद्योगिक प्रदूषण से लगभग 90 प्रतिशत से अधिक साफ हो चुका है। आज नदियों एवं जलाशयों के लिए नगरीय प्रदूषण एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। जल-मल एवं सिवरेज का गंदा पानी बिना साफ किये हुए नदियों, जलाशयों में सीधे गिर रहा है और पानी को अत्यधिक गंदा कर रहा है। घरोें में आपूर्ति होनेवाले जल में कीड़े भी मिलने की बातें सामने आ रही है। राज्य के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि भारत सरकार ने रामगढ़, फूसरो और धनबाद के तीन स्थानों पर तीन सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर अपनी स्वीकृति दे दी है। सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगने के बाद नदियों में औद्योगिक प्रदूषण के साथ नगरीय प्रदूषण पर भी अंकुश लग जायेगा। प्रतिवर्ष दामोदर के उद्गम स्थल से लेकर पंचेत डैम, धनबाद तक 40 स्थानों पर एक साथ गंगा दशहरा मनाया जाता है और नदी की पूजा की जाती है।
पर्यावरण को संतुलित एवं संरक्षित रखने के लिए केवल संस्थानों, सरकारों के भरोसे से नहीं होगा। हमें व्यक्तिगत स्तर पर पहल एवं प्रयास करने की आवश्यकता है। पर्यावरण के क्षेत्र में जितना अधिक हम योगदान कर सकते है, हमें करना चाहिए। इसलिए हमने मेले में पर्यावरण हितैषी उत्पादों के स्टाॅल को ही लगाने की अनुमति दी है।
इस अवसर पर झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डाॅ. एस.एन. पाठक ने कहा कि 1972 में हुए स्टाॅक होम अधिवेशन में हुए समझौते का अधिकांश देश पालन नहीं कर रहे है, हमारे भारत में भी ऐसा ही हो रहा है, जो काफी चिंताजनक है। जिस तरह से दामोदर नद का कायाकल्प हुआ है वैसी ही अन्य नदियों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि डाॅ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि मेरा राँची से 1963-64 से नाता रहा है। उस समय से जून के महिने के रात में भी कंबल ओढ़ना पड़ता था। उस समय राँची के घरों एवं कार्यालयों में पंखा का कोई कंसेप्ट नहीं था। पहले घने जंगल थे, तालाब सरोवर की बहुलता थी, आजकल ये दोनों ही राँची में अपना अस्तित्व खो चुके है। आज फरवरी में ही गर्मी का आभास हो रहा है, धूप कड़वी लग रही है। यह परिस्थिति मानव निर्मित है। मौसम की अनियमितता के कारण फसलों की उपज में प्रतिकूल असर पड़ा है, जिसके कारण मानव के सामने खाद्यान्न संकट खड़ा हो जायेगा। हमें प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। पहले के ऋषिमुनि आदि भी प्रकृति की उपासना एवं संरक्षण करते थे। आज के युग में आदिवासी ही प्रकृति के सच्चे संरक्षक है। वे जंगलों को काटते नहीं है, बल्कि उन्हें खेती के उद्देश्य से केवल साफ करते है। ऐसे आयोजनों से ही लोगों में प्रकृति के प्रति रूचि बढ़ेगी और वे प्र्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे। मैं इसके लिए सरयू राय जी को ह्दय से धन्यवाद देता हूँ।
विशिष्ट अतिथि, राँची विधानसभा के विधायक, श्री सीपी सिंह ने कहा कि पहले जब हम सुबह धनबाद, रामगढ़ जैसे कोलयरी क्षेत्र में जाते थे तो शाम से पहले ही ऐसा लगता था कि हम कोयला से नहाये हुए है। कोयला के कण वायुमंडल में इस कदर मिले रहते थे कि हमारी साँसों में यह घुल जाते थे। आज भी लगभग यही स्थिति कोलयरी क्षेत्र की है। भारत सरकार का नियम है कि कोलयरी क्षेत्र में पानी का फौव्वारा प्रतिदिन सुबह-शाम छिड़का जाय, लेकिन यह नहीं हो रहा है यह नियम केवल फाईलों तक ही सीमित है। कोलयरी क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य संबंधी एवं पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहे है। प्र्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जेैसे संस्थान आज कल पैसा उगाही का केन्द्र बना हुआ है वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रहे हैं।
इस अवसर पर झारखण्ड के विकास आयुक्त, श्री अरूण सिंह ने कहा कि प्र्यावरण पर मानवीय हस्तक्षेप के कारण ऋतु चक्र बिगड़ गया है। जिसके कारण जोशीमठ, उत्तराखंड, केदारनाथ जैसी त्रासदी सामने आ रही है। ओजोन परत का क्षय हो रहा है, कैंसर जैसी गंभीर बिमारीयां में काफी तेजी आयी है। आज संसार को असमय ही अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि का सामना करना पड़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे है, समुद्र का पानी बढ़ रहा है, जिससे छोटे-छोटे द्वीप और समुद्री किनारे समुद्र में समाहित हो जा रहे है।
सीसीएल के सीएमडी श्री पी.एम. प्रसाद ने कहा कि एक टन कोयला उत्पादन में ढ़ाई टन कार्बन डाईआॅक्साईड और तीस कि.ग्रा. सल्फर डाईआॅक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत बड़ा कारण है। 2050 तक हम अक्षय ऊर्जा में आत्मनिर्भर हो जायेंगे। झारखण्ड में जमीन मिलने पर सीसीएल 20 मेगावाट का सोलर पार्क लगायेगा।
मेले में संजीव शंकर एवं अश्विनी शंकर ने शहनाई वादन कर मेले में आये लोगों का मनोरंजन किया।