भाजपा ने कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक (मंडी टैक्स) को वापस लेने की मांग की
जिलाध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा- विधेयक से इंस्पेक्टर राज और कमीशनखोरी को मिलेगा बढ़ावा, जनता पर पड़ेगी महंगाई की मार
जमशेदपुर। हेमंत सरकार द्वारा पारित झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन 2022 विधेयक (मंडी टैक्स) के खिलाफ राज्यभर के व्यवसासियों ने सभी मंडियों को बुधवार से अनिश्चिकालीन के लिए बंद कर दिया है। जिससे जमशेदपुर सहित राज्य के 28 कृषि बाजार मंडियों की थोक दुकानों सहित सभी थोक दुकानें बंद रही। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। भाजपा ने राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन 2022 विधेयक को जनविरोधी, कृषक विरोधी और व्यापार विरोधी करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव ने प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस विधेयक से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। कृषि प्रधान हमारे पड़ोसी राज्य बिहार एवं यूपी जैसे राज्यों में भी कृषि मंडी शुल्क का कानून खत्म किया गया है। इस विधेयक से राज्य में कृषि उपज के उत्पादन, इसके विपणन, संबंधित प्रसंस्करण उद्योग और व्यापार में भारी कमी आएगी। इससे किसानों की उपज की स्थानीय स्तर पर मांग घटेगी और उन्हें अपने उत्पाद की कम कीमत प्राप्त होगी। इससे सरकार को कृषि शुल्क और जीएसटी से प्राप्त होनेवाले राजस्व में भी कमी होगी। जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा कि इस विधेयक के प्रभावी होने पर महंगाई की मार जनता पर पड़ेगी और इंस्पेक्टर राज और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने किसानों, व्यापारियों एवं आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए मंडी शुल्क को झारखंड में समाप्त कर दिया था। मगर हेमंत सरकार ने कमीशनखोरी को बढ़ावा देने के लिए झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन 2022 के माध्यम से पुनः 2 प्रतिशत मंडी शुल्क लगा दिया है जो कि पूरी तरह से अव्यवहारिक और अनुचित है। कहा कि राज्य सरकार मंडी टैक्स विधेयक को अविलंब वापस ले जिससे कि व्यापारियों और आमजनों के हितों की रक्षा हो सके।