सोनारी नौलक्खा अपार्टमेंट में “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन संपन्न
कीर्तन करने से शरीर ,आत्मा और मन तीनों पवित्र होता है
जमशेदपुर । आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन सोनारी नौलखा अपार्टमेंट में संपन्न हुआ
एवं गदड़ा आनंद मार्ग जागृति से से पूर्णिमा नेत्रालय में 10 मोतियाबिंद रोगियों का निशुल्क ऑपरेशन कर लेंस लगाया गया चश्मा एवं दवा देकर सकुशल घर पहुंचा दिया गया। वही गदरा आनंद मार्ग जागृति में आई कैंप के दौरान 70 लोगों के आंखों का जांच हुआ एवं 100 पौधों का वितरण किया गया आज लगभग 20 लोग मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए चयनित हुए हैं, जिनका कल 30 दिसंबर को पूर्णिमा नेत्रालय में ऑपरेशन किया जाएगा।
कीर्तन समाप्ति के बाद लाल बिहारी आनंद ने कहा कि कीर्तन “हरि “का कीर्तन और किसी का नहीं अपनी प्रशंसा नहीं दूसरे की प्रशंसा नहीं बहुत से लोग अपनी बड़ाई खूब अधिक से अधिक करते हैं। मैंने यह किया मैंने वह किया इत्यादि यह हुआ आत्म कीर्तन यह जो”हरि “हैं अर्थात परम पुरुष हैं इन्हीं का कीर्तन करना है अपना कीर्तन नहीं कीर्तनिया सदा “हरि ” मनुष्य यदि मुंह से स्पष्ट भाषा में उच्चारण कर कीर्तन करता है। उससे उसका मुख पवित्र होता है जीहां पवित्र होती है कान पवित्र होते हैं। शरीर पवित्र होता है और इन सब के पवित्र होने के फलस्वरूप आत्मा भी पवित्र होती है कीर्तन के फल स्वरुप मनुष्य इतना पवित्र हो जाता है कि वह अनुभव करता है। जैसे उसने कभी अभी-अभी गंगा स्नान किया हो भक्तों के लिए गंगा स्नान का अर्थ हुआ सदा कीर्तन यदि लोग मिल जुलकर कीर्तन करते हैं तब उन लोगों की मात्र शारीरिक शक्ति ही एकत्रित होती है ऐसी बात नहीं है। उनकी मिलित मानस शक्ति भी एक ही भावधारा में एक ही परम पुरुष से प्रेरणा प्राप्त कर एक ही धारा में एक ही गति में बहती रहती है, इसलिए मिलित जड़ शक्ति और मिलित मानसिक शक्ति इस पंचभौतिक जगत का दुख कलेश दूर करती है।