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शहीदी समागम में संगत की आँखें हुईं नम

साकची में कड़कड़ाती ठंड में भी देर रात तक लीन रहे श्रद्धालु

जमशेदपुर । चार साहिबज़ादों की शहीदी को समर्पित साकची गुरुद्वारा मैदान में शनिवार को सिख नौजवान सभा, साकची द्वारा आयोजित शहीदी समागम में भावनात्मक माहौल बन गया जब शहीदी गाथा सुनकर संगत की आँखें नम हो गयीं।
साहिबजादों की शहीदी गाथा सुनकर संगत अपने आंसू नहीं रोक पायी। खुले मैदान में संगत ने उस वक़्त को याद किया जब छोटे साहिबज़ादे ने दादी माता गुजरी संग ठंडे बुर्ज में रातें गुजारी थीं।
रहरास साहिब की अरदास के बाद शुरू हुए शहीदी समागम में सर्वप्रथम रागी जत्था भाई गुरशरण सिंह ने शब्द गायन किया इसके बाद

ढाढ़ी जत्था भाई सुरजीत सिंह, कीर्तनी जत्था भाई गुरदीप सिंह निक्कू ने कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया जबकि कथा वाचक विवेक सिंह संगत को साहिबजादों की वीर गाथा सुनाई।
ढाढ़ी जत्था भाई सुरजीत सिंह ने जब शहीदी गाथा सुनाई गुरूद्वारे में मौजूद लगभग हर शख्स की आँखे भर आयी। साकची गुरद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह व कोषाध्यक्ष जसबीर सिंह गांधी भी देर रात तक शहीदी समागम में शामिल रहे।
इस कीर्तन दीवान की ख़ास बात यह थी कि
केवल गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश के लिए स्टेज सजाया जाएगा जबकि समागम ठंडे बुर्ज की ठंड को महसूस करते हुए खुले मैदान में हुआ ताकि संगत यह महसूस कर सके कि किस तरह से छोटे-छोटे साहिबजादों ने ठंडे बुर्ज में दादी माता गुजारी के साथ हाड कंपाती ठंड में यातना सहते हुए रातें गुजारी थीं।
नौजवान सभा के प्रधान मनमीत सिंह के नेतृत्व में जुझारू सक्रिय सदस्य रोहितदीप सिंह, मौनी रंधावा, जसकरण सिंह, हरप्रीत सिंह, तरसेम सिंह, जसप्रीत सिंह, कवंलदीप सिंह, गगनदीप सिंह और हरप्रीत संधू संगत की सेवा के लिए तैनात थे और समागम को सफल बनाने में सराहनीय भूमिका निभाई। गुरु के अटूट लंगर के साथ ही चाय की सेवा संगत के लिए देर रात तक चलती रही।

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