(शाहनवाज़ हसन)
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को ईडी ने समन भेज कर 17 नवंबर को हर हाल में हाजिर होने का फरमान जारी किया है। यदि हेमन्त सोरेन ईडी के समक्ष हाजिर नहीं होते हैं, तो उसे कार्रवाई करने के लिए किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। ईडी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी भी कर सकती है, ऐसा कानूनी विशेषज्ञों का कहना है।
झारखंड स्थापना दिवस समारोह के मद्देनजर ईडी ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को स्थापना दिवस समारोह के उपरांत 17 नवंबर को हर हाल में हाजिर होने का फरमान सुनाया है। स्थापना दिवस के राजकीय समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थीं। लेकिन, ठीक समारोह के 36 घंटे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की सूचना राजनीतिक हलकों के साथ-साथ नौकरशाहों के दरम्यान चर्चा का विषय बन गया है।
झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम जिस तेजी से बदल रहे हैं, उसे लेकर कयास-अराइयों का बाज़ार गर्म है। झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के बाद मुख्यमंत्री का यह कहना “हम जेल में रह कर ही भाजपा का सूपड़ा साफ कर देंगे” यह इशारा हेमन्त सोरेन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को देने का कार्य किया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से ईडी साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन मामले में उनकी संलिप्तता के बिन्दु पर पूछताछ कर सकती है। मुख्यमंत्री के गिरफ़्तार विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल एवं प्रेम प्रकाश व अमित अग्रवाल से पूछताछ में मिले तथ्यों के आधार पर यह पूछताछ होगी।
यदि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी होती है, तो राज्यपाल संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं। सत्ता पक्ष की ओर से नेता का चुनाव होने के उपरांत ही नयी सरकार के गठन को लेकर राज्यपाल के समक्ष दावा पेश किया जा सकता है। दूसरी संभावना यह भी है कि मुख्यमंत्री यदि गिरफ़्तारी से पूर्व त्यागपत्र देकर नेता का चुनाव कर राज्यपाल के समक्ष बहुमत के साथ विधायकों की परेड करवा दें, तो फिर राज्यपाल को मुख्यमंत्री की शपथ दिलानी पड़ सकती है।
वर्तमान झारखंड विधानसभा का लगभग दो वर्ष से कुछ अधिक समय बचा हुआ है। ऐसे में मध्यवर्ती चुनाव की संभावनाएं कम ही रह जाती हैं। झामुमो में जबतक कोई बड़ी टूट नहीं होती, तबतक भाजपा के लिए सत्ता की राह आसान नहीं होगी। दूसरी सूरत में भाजपा को भी एक मधु कोड़ा की तलाश होगी, जो सत्ता पक्ष के कम से कम इतने विधायकों की संख्या पूरी कर सके, जिससे विधानसभा में वह अपना बहुमत साबित कर सके। ये सभी संभावनाएं हैं, जो हेमन्त सोरेन की गिरफ़्तारी होने की सूरत में सामने आयेंगी। फिलहाल, चर्चा यह भी है कि ईडी की गिरफ़्तारी पर रोक लगाने के लिए न्यायालय की शरण में एक बार फिर हेमन्त सोरेन जाने की तैयारी कर चुके हैं। हालांकि, इस सूचना की पुष्टि “बिरसा वाणी” नहीं कर रहा है।