जमशेदपुर। ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर हुए चार्जशीट के आधार पर उन्हें बुला रही है जो साहेबगंज और पाकुड में गिट्टी घोटाला से संबंधित है. इस मामले में हेमंत सोरेन से अधिक घोटाला रघुवर दास के मुख्यमंत्री और खान मंत्री रहते हुआ है। जिसका प्रमाण ईडी की उसी चार्जशीट में है जिसके आधार पर ईडी श्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुला रही है। हेमंत सोरेन सरकार पर तो सिर्फ गिट्टी घोटाले का आरोप है जिसमें उनके प्रतिनिधि पंकज मिश्रा मुख्य अभियुक्त हैं। पर रघुवर दास पर तो गिट्टी घोटाला के साथ ही मनरेगा घोटाले का आरोप भी है जो ईडी के उस चार्जशीट से साबित होता है, जिसमें पूजा सिंघल पर मुकदमा हुआ है।
गिट्टी घोटाला में ईडी ने जो चार्जशीट दाखिल किया है उसमें लिखा हुआ है कि श्री रघुवर दास जब मुख्यमंत्री और खान मंत्री थे तब दो तिहाई घोटाला और श्री हेमंत सोरेन के समय एक तिहाई घोटाला रेलवे रैक से बिना चालान के गिट्टी ढुलाई में हुआ है। ईडी चार्जशीट के अनुसार रघुवर दास मुख्यमंत्री और खान मंत्री थे तब 2015 से 2019 के बीच हर साल रेलवे रेक से अवैध ढुलाई हुई है. यह ढुलाई 2015-16 से 2019-20 के बीच 233 रेक से हुई है और रघुवर दास सरकार में वसूली एजेंट प्रेम प्रकाश की कंपनी सी टी एस इंडस्ट्रीज ने यह अवैध ढुलाई किया है। श्री रघुवर दास के मुख्यमंत्री और खान मंत्री रहते हुई अवैध ढुलाई का विवरण निम्नवत है:-
– 2015-16 में 16 रेक, 2016-17 में 1 रेक, – 2017-18 में 31 रेक , -, 2018-19 में 117 रेक ,- 2019-20 में 68 रेक ।
इस घोटाला में सरकारी खजाना को 100 करोड़ रूप्ए से अधिक की चपत लगी है. 2015-16 से लेकर 2017-18 तक रेलवे रेक से अवैध गिट्टी ढुलाई इनके मनोनुकूल नहीं हुई तो साहेबगंज के जिला खान पदाधिकारी को बदल कर वहाँ विभुति कुमार की पोस्टिंग की गई. इस अवधि में गिट्टी का अवैध खनन और अवैध परिवहन में भारी उछाल आया. एक साल में 117 रेक गिट्टी का परिवहन बिना चलान से हुआ. श्री विभुति कुमार आज भी साहेबगंज के डीटीओ हैं। श्री रघुवर दास सरकार के आरंभिक 3 वर्षों में केवल 48 रेक की अवैध ढुलाई हुई जो बाद के 2 वर्षों में 185 रेक हो गई।
इसी तरह मनरेगा घोटाला में इडी ने पूजा सिंघल को दोषी पाकर उनपर चार्जशीट किया है। इस चार्जशीट में लिखा हुआ है कि पूजा सिंघल ने मनरेगा घोटाला में जो भ्रष्टाचार और काली कमाई किया है वह वर्ष 2013 से 2019 के बीच का है। इन 6 वर्षों में से 4 वर्षों -2015 से 2019 के बीच-तक स्वनामधन्य रघुवर दास जी मुख्यमंत्री थे। वे मनरेगा घोटाले में आकंठ डुबे हुए हैं। जिस मनरेगा घोटाला में इडी ने पूजा सिंघल को अरबों रूपये की हेराफेरी का दोषी पाकर जेल में डाला है, आरोप सही पाकर चार्जशीट किया है, उसी पूजा सिंघल को, उसी मनरेगा घोटाला में, श्रीमान रघुवर दास जी ने मुख्यमंत्री रहते समय क्लीन चिट दे दिया था, उन्हें निर्दोष करार दिया था, उनका प्रोमोशन कर दिया था. उन्हें घोटाला करने का अवसर दे दिया था। तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने रघुवर दास से साँठगाँठ कर दस्तावेजी सबूतों में फर्जीवाड़ा किया और हेराफेरी कर पूजा सिंघल को आरोप मुक्त करने वाले दस्तावेज तैयार कराया। रघुवर दास ने पूजा सिंघल को ईमानदार करार दिया, इनके विरूद्ध सबूत मिटाने की साजिश किया और जब इडी ने जाँच किया तो क्या हुआ यह सबके सामने है।
इडी को पूछताछ में कुछ लोगों के बयान मिले हैं, कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिसके आधार पर उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तो पूछताछ के लिए बुलाया है पर रघुवर दास को नहीं। मैं श्री रघुवर दास की घोटालेबाजों से साँठगाँठ और घोटालेबाजों से लाभ लेने के कतिपय उदाहरण नीचे दे रहा हूँ।
1. प्रेम प्रकाश के पार्टनर पुनीत भार्गव ने इनोवा गाड़ी संख्या जे एच 01 डी वी 1101 खरीदकर रघुवर दास को दिया जिसका वे इस्तेमाल फरवरी 2020 से करते रहे हैं. यह इनोवा श्री रघुवर दास के गैराज में खड़ी रहती है।
2. एक और फॉर्चुनर गाड़ी संख्या जे एच 05 सी आर 0011 रघुवर दास के पास पाई गई, इससे वे राज्य भर का दौरा करते पाये गये। यह गाड़ी भी घोटालेबाजों से जुड़े संदिग्ध चरित्र के लोगों के नाम पर है। किसने और कैसे यह गाड़ी खरीदा और रघुवर दास को दिया और क्यों दिया इसकी जाँच इडी करे।
3. रघुवर दास की अंतरंग मुख्य सचिव राजबाला वर्मा आरंभ में प्रेम प्रकाश की संरक्षक थीं। प्रेम प्रकाश का संबंध मुख्यमंत्री रहते समय रघुवर दास और इनके तत्कालीन ओएसडी राकेश चैधरी से बना जो आज भी कायम है। प्रेम प्रकाश श्री रघुवर दास के परिवार का हितसाधक बन गया. उनके परिवार जनों को रजरप्पा सहित अन्य स्थानों का भ्रमण और दर्शन कराता रहा, गिट्टी घोटालेबाजों से मदद लेकर साहेबगंज और पाकुड के इलाके में इनके सुपुत्र से कम्बल वितरण एवं अन्य कार्यक्रम कराता रहा जिसके वृतांत उस समय वहाँ के अखबारों में छपा करता था।
4. प्रेम प्रकाश और राकेश चैधरी की घनिष्ठता जग जाहिर थी। यह घनिष्ठता सरकार बदलने के बाद भी कायम रही। देवघर के एक विवाह स्थल पर राकेश चैधरी के सुपुत्र की शादी की फैमिली फोटो में रघुवर दास, राकेश चैधरी और प्रेम प्रकाश की अंतरंग तस्वीरें होना, शादी में नाचने के अंतरंग चित्र होना, इनसे प्रेम प्रकाश के अंतरंग संबंधों के प्रमाण हैं।
5. सवाल उठ रहा है कि देवघर के शादी समारोह का भुगतान किसने किया? मुम्बई की मीरचंदानी का प्रोग्राम कराने के लिए राँची के इवेंट मैनेजर आकाश सिन्हा को इसका भुगतान किसने किया? इडी इसका दस्तावेज माँगे तो मनी लाउंड्रिंग का गंभीर मामला बनेगा। जिस ‘थ्री आर’ की चर्चा होते रहती है उसमें -रघुवर, राजबाला, राकेश- की भूमिका गिट्टी घोटाला से मनरेगा घोटाला और शराब घोटाला तक में सामने आ जाएगी और मनी लाउंड्रिंग के बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा, यदि इडी निष्पक्षता बरते और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी पूछताछ के लिए बुलाए।
6. श्री रघुवर दास मुख्यमंत्री थे और राजबाला वर्मा मुख्य सचिव थीं तो प्रेम प्रकाश की फर्म द्वारा 7 करोड़ रूपये की हेराफेरी का एक मामला सामने आया था। एक कर्मठ आईएएस श्री भोर सिंह यादव उत्पाद आयुक्त थे. इन्होंने घोटाला पकड़ा, तमाम सबूतों के साथ राँची के अरगोड़ा थाना में एफआईआर भेजा. मामले की गम्भीरता को देखते हुए वे स्वयं अरगोड़ा थाना गये, थाना में देर शाम तक बैठे रहे. एक प्रभावशाली व्यक्ति का फोन थानेदार के पास आया और थानेदार ने एफआइआर लेने से इंकार कर दिया। एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को अपमानित होकर थाना से बैरंग लौटना पड़ा. इडी पता करे कि सरकार में बैठे किस प्रभावशाली पदाधिकारी का फोन था जिसके कारण बड़ा घोटाला उजागर होने से रह गया. क्या इस फोन का थ्री आर से रिश्ता था?
7. श्रीमती राजबाला वर्मा मुख्य सचिव से रिटायर हुईं तो मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उनकी प्रशंसा का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराया जिसका मैंने और सीपी सिंह जी ने विरोध किया। क्या कारण था ऐसा प्रस्ताव कैबिनेट में रखने का?
यदि इडी ₹1000 करोड़ के गिट्टी घोटाला (2020-21 और 2021-22 के बीच) में पंकज मिश्रा पर हुए चार्जशीट के आधार पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुला रही है तो इसी चार्जशीट में अंकित 2015-16 से 2019-20 तक हुए गिट्टी घोटाला के बारे में पूछताछ करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को क्यों नहीं बुला रही है? जबकि रघुवर दास के समय का घोटाला हेमंत सोरेन के समय के घोटाला से दो तिहाई अधिक है। मनरेगा घोटाला में पूजा सिंघल को क्लीन चिट देने का आरोप अलग है। शराब घोटाला अलग है।
एक आँख में काजल और एक आँख में सुरमा की नीति से इडी की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। इडी इस मामले में श्री रघुवर दास से भी पूछताछ करे तभी उसे विश्वसनीय माना जाएगा। नहीं तो सवाल उठेंगे। जो लोग पूछताछ के लिये इडी द्वारा हेमंत सोरेन को बुलाने को भ्रष्टाचार पर बड़ी कारवाई मान रहे हैं उन्हें रघुवर दास को भी इडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाने की बात कहनी चाहिए। नहीं तो माना जाएगा कि इडी भ्रष्टाचार पर कारवाई के प्रति गंभीर नहीं है।