जब तक हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन न दिया जा सके, तब तक आर्थिक सुधार भी बेमानी है: लक्ष्मी सिन्हा
बिहार पटना सिटी _राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि तीन दशक पहले उठाए गए आर्थिक सुधार के कदमों पर फिर विमर्श हो रहा है। वास्तव में हमें इस विमर्श से आगे बढ़कर उन कदमों पर विचार करना चाहिए, जिनकी आज आवश्यकता है। उस समय उठाए गए कदमों की अपनी सीमा थी। प्रयास क्रांतिकारी भी थे, लेकिन सरकार ने घरेलू मोर्चे पर बहुत साहस भी नहीं दिखाया था। वर्तमान सरकार इस मामले में बेहतर स्थिति में है। प्रयासों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी आड़े नहीं आ रही है। हमें अगले 10 साल 10 प्रतिशत की विकास दर चाहिए। इस विकास दर से ही स्वास्थ्य एवं शिक्षा, आर्थिक सुरक्षा और लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित हो सकेगी। नियामकीय व्यवस्था तैयार करना और प्रोत्साहन देना सरकार का काम होता है, जिससे विकास को गति मिले। निजी क्षेत्रों को दबाकर नहीं, बल्कि सरकारी क्षेत्रों की गुणवत्ता में सुधार करते हुए प्रयास किए जाने आवश्यक है। जमीनी स्तर पर ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे सरकारी, निजी और कारपोरेट सभी को लाभ मिले। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि सुधार कोई घटना या परिणाम नहीं अपितु प्रक्रिया है। पिछले आठ साल के आर्थिक सुधारों के परिणाम देखें। हालांकि प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार न हो पाने का कारण इनका पूरा लाभ अब भी नहीं मिल पाया है। हमारे देश को ऐसे सुधारों की आवश्यकता है, जिसने एमएसएमई के विकास को बढ़ावा मिले। 5 करोड़ रोजगार देने वाले एमएसएआई का करीब 80 प्रतिशत छोटे उद्योगों से बना है। कुछ ही बड़े संस्थान है, जिनकी वैश्विक स्तर पर उपस्थिति है। हमें यह समझना होगा कि श्रम सुधार, टैक्स लाभ और कारोबारी सुगमता कुछ ऐसे कदम है, जिनसे रोजगार सृजन हो सकता है और विकास को भी गति मिल सकती है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि जब तक हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन न दिया जा सके तब तक आर्थिक सुधार भी बेमानी है। यदि सामाजिक मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाए, तो विकास कुछ ऊपर के लोगों तक सिमटकर रह जाएगा। भारत संरचनात्मक बदलावों के बिना विकास नहीं कर सकती है। विकास असल में लोगों के जीवन को समृद्धि करने और अवसरों को विस्तार देने का माध्यम है। रोजगारविहीन विकास और तेज विकास की असमानता बहुत बड़ी चुनौती है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को सुनिश्चित करना होगा की आर्थिक स्थिति में सबसे नीचे जी रही 30 करोड़ की आबादी को ऊपर आने का मौका मिले और 30 करोड़ मध्यम वर्गीय आबादी का विस्तार हो। सरकार को सामाजिक उत्थान की व्यवस्था करनी चाहिए और लोगों को अपने जीवन के लिए बेहतर विकल्प के चयन का मौका मिलना चाहिए। और हमारे देश के नागरिक को भी भेदभाव जात_पात ऊंच-नीच का भेद खत्म करके सरकार को सहयोग करने की आवश्यकता है।