86 बस्तियों का मालिकाना हक नही देने से जनता और सरकार दोनों को ही नुकसान सरकार इस मामले को जल्द सुलझाए ;सरयू राय
रांची;विधान सभा में राजस्व विभाग की माँगों पर वाद-विवाद में भाग लेते हुए जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने जमशेदपुर की बस्तियों को मालिकाना हक़ देने की माँग उठाया और कहा कि मुख्य सचिव एवं राजस्व सचिव स्तर पर कई बार हुई बैठकों में इस बारे में सहमति होने के बावजूद मामला जस का तस है. सरकार को इसे गम्भीरता से लेते हुए शीघ्र बस्तीवासियों को उनकी बसाहट पर मालिकाना हक़ देने की योजना लागू करनी चाहिए.
सरयू राय ने इस बारे में क्षितिज चन्द्र बोस बनाम आयुक्त, राँची एवं राँची नगर निगम के मुक़दमा में सर्वोच्च न्यायालय के 6 फ़रवरी 1981 को दिये गये निर्णय को उद्धृत किया और कहा कि इस यह निर्णय एआईआर 707 और एसएससी 103 में प्रकाशित है. इसके अनुसार कोई सरकारी भूमि पर अधिकतम 30 वर्ष तक किसी का लगातार क़ब्ज़ा है और सरकार द्वारा क़ब्ज़ा नहीं हटाया गया है तो प्रतिकुल कब्जा (adverse possession) के सिद्धांत के अनुसार क़ब्ज़ाधारी उस ज़मीन का मालिक माना जायेगा. श्री राय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय क़ानून होता है. इसलिये सरकार को चाहिये कि ऐसे व्यक्तियों को ज़मीन का मालिकाना दे.
उन्होंने कहा कि ऐसी बस्तियों में विधायक निधि से, नगर विकास निधि से, वित्त आयोग की निधि से, केन्द्र सरकार की सहायता निधि से अरबों रूपये के काम हुए हैं. सड़कें बनी हैं, नाले-नालियाँ बनी हैं, बिजली लगी है, पेयजल मिल रहा है, सफ़ाई हो रही है, अन्य सुविधाएँ दी जा रही हैं. यदि नहीं मिल रहा है तो उन्हें अपनी बासगीत ज़मीन पर मालिकाना हक़ नहीं मिल रहा है, घरों को होल्डिंग्स नम्बर नहीं मिल रहा है. जबकि ऐसा होने से सरकार को अरबों रूपये की राजस्व की प्राप्ति होगी, जनता का फ़ायदा होगा.
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस काम से सरकार और जनता दोनों को फायदा है वह काम पिछली सरकार ने भी नहीं किया और कई बार आश्वासन देने, बैठकें करने के बाद वर्तमान सरकार भी नहीं कर रही है. जबकि हरियाणा सरकार यह कर रही है, मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही हुआ है, इन्दौर नगरपालिका ने भी किया है. पिछली सरकार ने मालिकाना के बदले लीज़ का प्रावधान कर मामले को उलझा दिया है. वर्तमान सरकार इसे सुलझाये यह मेरी माँग है.