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भारत अपना एक अनमोल रत्न खो दिया, जिसकी भरपाई सदियों सदियों तक नहीं हो पाएगी

जमशेदपुर। यूं तो इस धरा पर रहने कोई आता नहीं लेकिन ईश्वर की कुछ ऐसी कृतियां, जिन के निधन पूरे जनमानस को स्तब्ध कर देती है उसी में एक हमारी भारत के अनमोल रत्न, स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से एक बार पुनः हिंदुस्तानियों का दिल क्रंदन कर रहा है। हम बड़े खुशनसीब है कि हमें ईश्वर ने तपोभूमि के साथ-साथ स्वर्ग की सुरो की देवी, अनमोल रत्न, अनमोल धरोहर हमें सौंपा था और हम भी बड़े ही लगाव से हृदय में संभाल कर रखे थे लेकिन यह निहायत सत्य है। इस धरा पर जो भी आया है उसे एक दिन जाना होगा। हम यही समझ कर अपने दिल को ढांढस बंधा रहे हैं और ईश्वर से कर जोड़ प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारे इस अनमोल रत्न को अपने चरणों में ,अपने हृदय में और अपने क्षीर सागर में ऐसे ही संभाल कर रखिएगा, जैसे हमने हिंदुस्तान की तपोभूमि पर उन्हें संभाल कर रखा था। प्रत्येक भारतवंशी मायूस है और अपने अश्रुपूर्ण नेत्रों से अपने हृदय एवं अपने देश की स्वर कोकिला को विदा कर रहा है।मिथिलेश प्रसाद श्रीवास्तव महासचिव, विश्व भोजपुरी विकास परिषद् एवं प्राचार्य डेफोडिल्स उच्च विद्यालय ।

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