रांची । भाजपा समेत कई राष्ट्रवादी संगठनों के नक्शेकदम पर चलने वाले सैल्यूट तिरंगा संस्था ने दिन रविवार को राँची के अशोकनगर में कथित तौर से प्रांतीय अधिवेशन का आयोजन किया। हालांकि यह प्रांतीय अधिवेशन था या नहीं यह कहना समझ से परे था । क्योंकि प्रांतीय अधिवेशन के तौर पर कार्यक्रम संचालित नहीं रहा । खास बात यह रही कि कार्यक्रम के रूपरेखा को देखने से समझ से परे था कि आखिर हो क्या रहा है। पिछले 3-4 सालों से चलाई जा रही संस्था सैल्युट तिरंगा राष्ट्रवादी होने का दावा तो जरूर करती है लेकिन राष्ट्रवाद का मतलब कही नजर नही आता है। आयोजित कार्यक्रम को देखने से एक आम आदमी भी कह सकता है कि यह सेल्फ प्रमोटिंग कार्यक्रम था न कि प्रांतीय अधिवेशन। बल्कि प्रांतीय अधिवेशन के नाम पर लोगो को बरगला कर कार्यक्रम में बुलाया गया। साथ ही संस्था के पदाधिकारियों के बीच आपस मे ही सामंजस्य नजर नही आई । यहाँ तक कि उदघाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि का नाम तक कही नजर नही आया। बल्कि मंच सहित अन्य जगहों पर लगे बैनर में भी संस्था के पदाधिकारी ही छाए हुए थे ।
ज्ञात हो कि कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सह उद्घाटनकर्ता के रूप में हजारीबाग के पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे को बुलाया गया था । लेकिन कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के अलावे सबलोग आम आदमी के रूप में दिखाए गए । यहाँ तक कि पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे भी काफी देर तक आम जनता में ही शामिल रहे। काफी लंबे समय के बाद मुख्य वक्ता को मंच पर बुला कर किनारे में पीछे से लाकर कुर्सी दी गई।
राष्ट्रीय पार्टी के एक अनुभवी व्यक्ति ने जब कार्यक्रम को लेकर संगठन महामंत्री प्रमोद मिश्रा को फोन कर बात करना चाहा तो प्रमोद मिश्रा ने अपने अलग तेवर दिखाए। उनके मुताबिक कार्यक्रम में जो भी हुआ उनके हिसाब से हुआ और बिल्कुल सटीक हुआ । यहाँ तक कि उद्घाटनकर्ता को मंच पर मंडल के लोगों के बाद बुलाए जाने का भी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री को अफसोस नहीं बल्कि गर्व दिखा । उन्होंने कह दिया कि मेरे ही वजह से उन्हे मंच पर बुलाया गया । सवाल यह है कि उद्घाटनकर्ता अगर मंच पर नहीं तो आखिर कहाँ बैठेंगे ? अगर राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का दावा करने वाली संस्था इस तरह की मर्यादा का उलंघन करें तो यह शर्मनाक है । मंच से भाषण के दौरान संस्था के जिम्मेदार व्यक्ति ने यह भी कह दिया कि “मैं जब चाहू किसी भी पार्टी में कोई भी पद ले सकता हूँ ” कुल मिलाकर बात करें तो राष्ट्र का हित करने का दावा करने वाली संस्था अपने कोर कमिटी के अनुसार चल कर उन्ही का हित करने में ही सक्षम नही है जिसके वजह से आपसी मनमुटाव संस्था में जम कर चल रहा है । अगर यही हाल रहा तो संस्था राष्ट्र का हित कैसे करेगी यह सोचने का विषय है।