हमारे देश का बना दंगा नासूर
बंद करो आपस मे लड़ना,
बंद करो ये खूनी खेल,
देश सभी का राज्य सभी का,
प्यार मोहब्बत से रखो मेल,
क्यो होता है दंगा फसाद,
कोन है इसका जिम्मेदार छोटी छोटी हर बातो पर निकल आते है क्यो हथियार आक्रोश की अंधी मे लोग बहक जाते है क्यो ? एक दूसरे के खातिर हम दुश्मन बन जाते है क्यो ? लड़कर एक दूसरे को दुखी करते है हम खुद का नुकसान दंगा भड़काने वाले का काम होता है इससे आसान राजनैतिक के लिए हिन्दू मुस्लिम मे झगड़ा करवाते है आग मे घी डाल कर देखो, चले जाते है वो तो दूर मानसिकता इतनी छोटी क्यो। देश का दंगा बना नासूर धर्म जाति के नाम पर हम क्यो करते है आपस मे लड़ाइ जाति धर्म समुदाय अलग है खून हो सब का एक है भाई सोचो एक बार सब मिलकर कितनी मुश्किलों से मिली देश की आजादी, आपस मे लड़ कर के हम कर रहे देश की बर्बादी सोचो, समझो, समझदार हो कर एक दूसरे का सम्मान फसकर दंगो की राजनैति मे जीवन मे नही होगा आसान।
अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि व्यंग्यकार
अमन रंगेला “अमन” सनातनी
सावनेर नागपुर महाराष्ट्र