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झारखंड सरकार का वार्षिक बजट किसी भी अन्य सरकारी दस्तावेज की तरह है जो दिखाता तो बहुत है, पर असलियत छुपा लेता है;सरयु राय

रांची;विधानसभा में आज प्रस्तुत झारखंड सरकार का वार्षिक बजट किसी भी अन्य सरकारी दस्तावेज की तरह है जो दिखाता तो बहुत है, पर असलियत छुपा लेता है.
₹ 1,01,101 करोड़ का यह बजट गत वर्ष के बजटीय आँकड़ा और तीन अनुपूरक बजट आँकड़ों के जोड़ से ₹ 485 करोड़ कम है.
2021-22 का बजट अनुमान = ₹ 91,277.00 करोड़
तीन अनुपूरक बजट –
I = 4,684.93 Cr.
II = 2,926.12 Cr.
III = 2,698.14 Cr.
कुल I+II+III = ₹ 10,309.19 करोड़
2021-22 के बजट का कुल योग-
₹ 91,277.00 + ₹ 10309.19
= ₹ 1,01,586.19 करोड़.
स्पष्ट है कि वर्ष 2022-23 का वर्तमान बजट अनुमान ₹ 1,01,101.00 करोड़ है जो
जो पूर्ववर्ती वर्ष (2021-22) के कुल बजट व्यय अनुमान ₹ 1,01,586 करोड़ से ₹ 485 करोड़ कम है.
इस बजट में क्रियान्वित होने वाली योजनाओं का उल्लेख तो वित्त मंत्री के बजट भाषण में है पर गत वर्ष की योजनाओं के वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की समीक्षा का उल्लेख इसमें नहीं है.
सिविल डिपोजिट और पीएल अकाउंट में जमा निधि की उपयोगिता का विश्लेषण नहीं है. अब तक राज्य सरकार ने योजना व्यय का मात्र 40 प्रतिशत ही खर्च किया है. इसके आलोक में यह बजट वस्तुतः राज्य के प्रशासनिक ढाँचा की योजना कार्यान्वयन क्षमता के पंगु होने का संकेत है.
झारखंड की वित्त व्यवस्था को एक निर्मम विश्लेषण की ज़रूरत है जो ग़ैर सरकारी व्यक्तियों एवं विशेषज्ञों तथा सक्षम संस्थानों से ही संभव है.
ज़मीनी स्तर पर पूँजी निर्माण की प्रक्रिया को गतिशील करने के आलोक में झारखंड के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों को जनहित के दृष्टिकोण से उदार एवं समावेशी दृष्टिकोण से विस्तारित करना राज्य की वित्त व्यवस्था को गति देने के लिये एक आवश्यक शर्त है जिसका अभाव इस बजट में परिलक्षित है. इसके बिना बजट मात्र निर्जीव आँकड़ों का पुलिंदा बनकर रह जाता है.

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