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संगीत मानव मन के सूक्ष्म अभिव्यक्तियों को प्रकट करने का सहज रास्ता है

प्राउटिष्ट यूनिवर्सल की सांस्कृतिक संस्था " आनंदम "की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

जमशेदपुर। प्राउटिष्ट यूनिवर्सल की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा में आयोजित पांच दिवसीय उपयोगिता प्रशिक्षण शिविर (यूटीसी) की पांचवें दिन के पांचवें दिन प्राउटिष्ट यूनिवर्सल की सांस्कृतिक संस्था “आनंदम” की ओर से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शहर के जाने माने कलाकार मानस भट्टाचार्जी ने प्रभात संगीत प्रस्तुत किया एवं उनके शिष्यों ने संस्कृत, इंग्लिश, बांग्ला हिंदी एवं अन्य भाषाओं में संगीत प्रस्तुत किया साथ ही साथ प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य का भी प्रदर्शन किया गया। आचार्य सिद्धविद्यानंद अवधूत ने कहा कि हर युग में सभ्यता एवं संस्कृति को बचाने के लिए तारक ब्रह्मा को आगे आना पड़ता है। कारण सभ्यता संस्कृति ही समाज का धरोहर है। आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान सदाशिव ने सरगम का आविष्कार कर मानव मन के सूक्ष्म अभिव्यक्तियों को प्रकट करने का सहज रास्ता खोल दिया था। इसी कड़ी में 14 सितंबर 1982 को झारखंड राज्य के देवघर में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने प्रथम प्रभात संगीत” बंधु हे निये चलो” बांग्ला भाषा में देकर मानव मन को भक्ति उनमुख कर दिया।
8 वर्ष 1 महीना 7 दिन के छोटे से अवधि में उन्होंने 5018 प्रभात संगीत का अवदान मानव समाज को दिया। आशा के इस गीत को गाकर कितनी जिंदगियां संवर गई। प्रभात संगीत के भाव ,भाषा, छंद, सूर एवं लय अद्वितीय और अतुलनीय है। संस्कृत बांग्ला, उर्दू , हिंदी, अंगिका ,मैथिली, मगही एवं अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत प्रभात संगीत मानव मन में ईश्वर प्रेम के प्रकाश फैलाने का काम करता है। संगीत साधना में तल्लीन साधक को एक बार प्रभात संगीत रूपी अमृत का स्पर्श पाकर अपनी साधना को सफल करना चाहिए।
इस पृथ्वी पर उपस्थित मनुष्य के मन में ईश्वर के लिए उठने वाले हर प्रकार के भाव को सुंदर भाषा और सूर में लयबद्ध कर प्रभात संगीत के रूप में प्रस्तुत कर दिया।
उन्होंने कहा कि कोई भी मनुष्य जब पूर्ण भाव से प्रभात संगीत के साथ खड़ा हो जाता है, तो रेगिस्तान भी हरा हो जाता है।
संगीत तथा भक्ति संगीत दोनों को ही रहस्यवाद से प्रेरणा मिलती रहती है। जितनी भी सूक्ष्म तथा दैवी अभिव्यक्तियां हैं, वह संगीत के माध्यम से ही अभिव्यक्त हो सकती है। मनुष्य जीवन की यात्रा विशेषकर अध्यात्मिक पगडंडियां प्रभात संगीत के सूर से सुगंधित हो उठता है।

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