24 अगस्त को देश की राजधानी दिल्ली में संयुक्त ट्रेड यूनियनों के मंच और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त कंवेंशन से होगा देशव्यापी आंदोलन का एलान
जमशेदपुर। श्रमिक संगठनों का देशव्यापी संयुक्त अभियान के तहत राजभवन के समक्ष झारखंड के तीन प्रमंडलों से जूटे संगठित और असंगठित क्षेत्र के कामगारों ने विशाल महापड़ाव आयोजित कर केंद्रीय सरकार की राष्ट्र विरोधी उधोग विरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जबर्दस्त हूंकार भरी। इसके पूर्व 9 अगस्त को धनबाद में दो प्रमंडलों का महापड़ाव कामगारों के प्रभावी उपस्थिति के साथ संपन्न हुआ था।
यह अभियान 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर दिल्ली में आयोजित मजदूरों के सम्मेलन के माध्यम से शुरू किया गया था, जिसके बाद झारखंड सहित पूरे देश में मजदूरों के राज्य और जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित किए गए। इन सम्मेलनों के बाद, केंद्र में सत्तारूढ़ दल द्वारा प्रायोजित विनाशकारी और विभाजनकारी नीतियों को उजागर करने के लिए झारखंड में जत्थों और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से व्यापक जन संपर्क कार्यक्रम चलाए गए और लगभग 10 लाख जनता से संपर्क किया गया।
महापड़ाव का उद्घाटन एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने की. कार्यक्रम की अध्यक्षता 6 सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की जिसमें ,इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, एटक के पी. के. गांगुली, सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह, एक्टू के शुभेंदु सेन, एचएमएस के आर.के.वर्मा एवं एआईयूटीयूसी के आर के तिवारी द्वारा किया गया ।
आज के महापड़ाव कार्यक्रम में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने केंद्र सरकार की नीति की कड़ी आलोचना करते हुए वैकल्पिक जनपक्षीय नीति के तहत अपनी मांगों पर प्रकाश डाला।
वैकल्पिक नीतियों के तहत, “चार मजदूर विरोधी लेबर कोड को रद्द करना, किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी सुनिश्चित करना , विनिवेश और एनएमपी के प्रयासों को समाप्त करना, बिजली संशोधन विधेयक एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापस करना, अनौपचारिक क्षेत्र के कामगार , ठेकेदार कामगार एवं स्कीम वर्करों के लिए कानूनी तथा सामाजिक सुरक्षा , समान काम के लिए समान वेतन, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी तथा मनरेगा की मजबूतीकरण सुनिश्चित करना, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना, पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कम करना, मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने के साथ-साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अमीर और कॉर्पोरेट पर उच्च कर लगाने तथा जन सुविधाओं के क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के मांगों को दोहराया गया”।
राष्ट्रहित में, एकता ,भाईचारा , सांप्रदायिक सद्भाव एवं सौहार्दपूर्ण जीवन के लिए मेहनतकशों की एकता मजबूत करने की अपील भी किया गया।
केंद्र सरकार से उपरोक्त मांगों के अलावा राज्य सरकार के स्तर पर 980 यूनियनों के पंजीकरण के मुद्दे को तत्काल हल करने, न्यूनतम मजदूरी की अनुसूची में सभी श्रेणियों के कामगारों को सूचीबद्ध करने, गीग वर्कर के लिए कानूनी कवरेज का विस्तार करने, पारदर्शिता के साथ श्रमिक संघों के प्रतिनिधियों वाली संयुक्त समितियों का पुनर्गठन, कल्याण बोर्डों की निधियों का पारदर्शी संचालन तथा एन.आई.एक्ट के तहत मजदूर दिवस पर 1 मई को छुट्टी जैसी मांगें रखा गया।
इस कार्यक्रम में इंटक, एटक, सीटू, ऐक्टू, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी आदि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ – साथ बैंक, बीमा, डाक, बीएसएनएल, सरकारी कर्मचारियों आदि के स्वतंत्र फेडरेशन की कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।
अभियान का दूसरा चरण संयुक्त किसान मोर्चा के साथ संयुक्त रूप से चलाया जाएगा, जिसकी घोषणा 24 अगस्त को दिल्ली में किसानों और मजदूरों के संयुक्त सम्मेलन से की जाएगी।
महापड़ाव स्थल पर आयोजित सभा को, इंटक के श्री संजीब श्रीवास्तव, उषा सिंह, लीलाधर सिंह, महेंद्र मिश्रा, एटक के अशोक यादव, अम्बुज ठाकुर,सुनीता कुमारी,रामश्रय सिंह सीटू के महासचिव बिश्वजीत देब, प्रकाश विप्लब, आरपी सिंह, संजय पासवान, एक्टू के भुवनेश्वर केवट, बैजनाथ मिस्त्री, डीएस दिवाकर और विभिन्न स्वतंत्र महासंघों से, अविजित मल्लिक, सुब्रत बिस्वास, प्रतीक मिश्रा और विकास कुमार सिंह और विभिन्न स्वतंत्र महासंघों से, अविजित मल्लिक, सुब्रत बिस्वास, प्रतीक मिश्रा और विकास कुमार सिंह आदि ने अपना वक्तव्य रखा।