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19 32 का खतियान लागू करना टेढ़ी खीर जैसा है : मनोज मिश्रा

जमशेदपुर: झारखण्ड सरकार के लिए 1932 का खतियान लागू करना टेढ़ी खीर है। इसके सामाजिक और कानूनी स्तर पर अनेक पेंच है। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह वोट बैंक की राजनीति से अधिक कुछ नहीं है। यह बात उन्हे भी पता है। उक्त बातें झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने आज संगठन की एक बैठक के दौरान भुईयाडीह मे कही। उन्होने कहा कि फिलहाल यह मामला कैबिनेट की बैठक मे लिया गया एक निर्णय से अधिक कुछ भी नहीं है। उस निर्णय के बाद से ही समाज मे विरोध और समर्थन की आवाजे लगातार उठने लगी है। इसका अर्थ है कि इस मुद्दे समाज पुरी तरह से दो धड़े मे विभक्त हो चूका है। यह स्थिति सामाजिक स्तर पर आने वाले समय मे बड़े टकराव के रूप मे हमें देखने को मिलेगी, जैसा पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के डोमिसाइल मुद्दे पर दिखाई दिए थे। इसके विरोध मे सत्ता पक्ष के भी अनेक लोग है, जो खुल कर विरोध कर रहे है। यदि किसी के पास 1932 का खतियान नहीं है तो उनको क्या राज्य से बाहर कर देंगे। लातेहार के 11 हजार से अधिक गांवों में बाद में 1965 के आसपास सर्वे हुआ है। 80 प्रतिशत स्थानों पर सर्वे को लेकर विवाद है। यह मामला न्यायालय में चल रहा है । झारखण्ड मे अनेक जिलों मे 1965 के आसपास सर्वे हुए है, उनके लिए 1932 का खतियान असंभव है, वहीँ अनेक सर्वे को न्यायालय मे चुनौती भी दी गयी है वहीँ अगर इसके कानूनी पहलू की बात करें तो इसमें भी हेमंत सरकार को अनेकों मुश्किलो से गुजरना पड़ेगा। मामला कैबिनेट मे आने के बाद बिल के रूप मे सदन मे रखा जाना है, जहां विस्तार से बिल पर चर्चा होगी, यहां भी यह तय है कि बीजेपी इसका विरोध करेंगी। सदन मे हेमंत सरकार की बहुमत का आंकड़ा बेहतर है इस लिहाज से यह सदन मे पारित भी हो जायेगा तो भी खतियान का मामला जमीन से जुड़ा है और जमीन से जुड़े इस मामले को कानूनी जामा पहनाने के लिए इसे संविधान के नौवीं अनुसूची मे शामिल कराना आवश्यक होगा। जिसके लिए इसे प्रस्ताव के रूप मे केंद्र मे भेजना होगा, जहां बीजेपी की सरकार है। ऐसे मे बीजेपी सरकार के माध्यम से इसे नौवीं अनुसूची मे शामिल कराना टेड़ी खीर साबित होगी। कुल मिलाकर यह मामला एक विशेष वर्ग को झूठा दिलासा दिला कर अपने पक्ष मे वोट की राजनीति करने से अधिक कुछ भी नहीं है। उन्होने समाज के सभी वर्गो को सोहदपूर्ण माहौल बनाये रखने की अपील की है। बैठक मे मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, ऋषि गुप्ता, अभिजीत चंदा, किशोर वर्मा,गुरमुख सिंह, जगन्नाथ महंथी,आर सी प्रधान,देवाशीष दास, डी एन शर्मा, जसवंत सिंह,संतोष कुमार,ऋषि कुमार,शिव कु. सिन्हा, अनिमा दास, एस एल दास, श्याम लाल शामिल थे।

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