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10 अगस्त से पश्चिमी सिंहभूम जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन MDA-IDA 2024 कार्यक्रम की शुरुआत


चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम झारखंड 10 अगस्त 2024 फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जाने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम MDA-IDA 2024 के सफलीकरण को लेकर मीडिया ब्रीफिंग आयोजित की गई। जिले के भी०बी०डी० पदाधिकारी डॉ मीना कालुंडिया ने बताया इस कार्यक्रम में पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुल 1536180 लाभुकों को फाइलेरिया रोधी दवाएं डी.ई. सी. एवं एल्बेंडाजोल एवं आइवरमेक्टीन की निर्धारित खुराक कुल 5017 प्रशिक्षित दवा प्रशासकों द्वारा बूथ पर एवं कुल 481 पर्यवेक्षकों के द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान इस कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया रोधी दवाएं 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाई जाएगी 1 से 2 वर्ष के बच्चों को सिर्फ एल्बेंडाजोल खिलाया जाएगा। इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है उन्होंने बताया कि इस दवा का सेवन रक्तचाप मधुमेह जोड़ दर्द जैसे रोगों से ग्रसित व्यक्तियों के द्वारा भी किया जाना है यह दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित है। सामान्यतः लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी चक्कर खुजली या बुखार जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे फाइलेरिया रोधी दवा खाने के बाद खून में मौजूद परजीवियों के मरने उपरांत यह शिकायत होती है। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए जिले में कुल 16 प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीम तैनात है जिनके द्वारा त्वरित उपचार किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए इस कार्यक्रम के दौरान दवा प्रशासकों के सामने ही फाइलेरिया रोधी दवा खाएं और इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य कर्मियों को पूर्ण सहयोग करें। फाइलेरिया या हाथी पाव जटिल स्वास्थ्य समस्या है यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है फाइलेरिया विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है यह संक्रमण लिंफेटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और बचाव नहीं किया जाए तो इससे शारीरिक असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली की सूजन लिम्फोडिमा (अंगों का सूजन) और दूधिया पेशाब (काइलुरिया) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका और काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि अगर लक्षित लाभुकों द्वारा लगातार 5 साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खाई जाए तो फाइलेरिया रोग का उन्मूलन हो जाएगा ।

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