हमारे देश में पूर्व की सभी शिक्षा नीति प्रयोगात्मक थी : रमेश बैस
जमशेदपुर: माननीय राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि स्वतंत्र भारत में पहली बार ऐसी शिक्षा नीति आई है। जो व्यवहारिक प्रतीत होती है। हमारे देश में पूर्व की सभी शिक्षा नीति प्रयोगात्मक थी। हमारी शिक्षा प्रणाली मैकाले की शिक्षा पद्धति पर आधारित थी। मैकाले ने ऐसी शिक्षा पद्धति दी जो राष्ट्र की स्वतंत्रता के बाद भी हमारे हित में नहीं थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व्यहवारिकता पर बल देता है। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ० कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आयोग द्वारा इस शिक्षा नीति को सरकार ने इसे थोपने का कार्य नहीं किया। सरकार बिल के माध्यम से इसे अनिवार्य भी कर सकती थी। इस शिक्षा नीति को लाया गया कि आप शिक्षाविद लोग इसकी विशेषताओं को देखें। राज्यपाल महोदय आज आर०वी०एस० एजुकेशनल ट्रस्ट, जमशेदपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति के साथ समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने हेतु पहल करने के संदर्भ में चर्चा की, विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में और तेजी से प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में हमारे बच्चे अपनी रुचि के अनुसार विषय का चयन कर सकते हैं। यदि किन्हीं कारणों से उनकी पढ़ाई बीच में छूट जाती है तो वे फ़िर वहीं से शुरू कर सकते हैं। इसमें एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सिस्टम की व्यवस्था है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि सभी को हिन्दी भाषा जानना चाहिए, राष्ट्रभाषा को अहमियत देना चाहिए, व्यवहार में लाना चाहिये। लोग अंग्रेजी एवं अन्य भाषा को भी जाने, लेकिन हिन्दी अवश्य जाने। जानकारी अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई का मकसद सिर्फ नौकरी अथवा डिग्री हासिल करना नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य ज्ञानार्जन व चरित्र निर्माण है।