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हमारी संस्कृति और सदाचार की जब भी बात होती है तो श्री राम का नाम लिया जाता है: लक्ष्मी सिन्हा

बिहार । पटना राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा गुरुवार पटना भर पोखर स्थित बिरला मंदिर में पूजा अर्चना कर लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की।

श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि हमारी संस्कृति और सदाचार की जब भी बात होती है तो श्री राम का नाम लीय जात है, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारणों में भक्तों के मन में आए विकारों को दूर करना, लोक में भक्ति का संचार करना, जन जन के कष्टों का निवारण और भक्तों के लिए भगवान के प्रीति पा सकेंगे की इच्छा पूरी करना प्रमुख है।

श्रीमती सिन्हा ने कहा कि नर से नारायण होने की यात्रा श्री राम है। श्रेष्ठतम मानव जीवन के लिए हम जिन आदर्शों का अनुसरण करते हैं, उनका सामि्मश्रण श्रीराम है। श्री राम ने अपने चरित्र और व्यवहार से हमें यह सिखाया की राष्ट्र और समाज की दिशा कैसी होनी चाहिए। श्री राम एक राजा से ज्यादा एक ऐसे जननायक की भूमिका में दिखते हैं, जिन्होंने समाज को भयमुक्त किया और समाज को अन्याय का प्रतिकार करने के लिए अभीकता प्रदान की। बनवासी जीवन में उन्होंने समाज के हर क्षेत्र, हर वर्ग से व्यापक जनसंपर्क किया और उन्हीं के सहयोग और समर्थन से अपने से ज्यादा शक्तिशाली रावण को हराया। श्री राम एक ऐसे लोकनायक हैं, जो हर भारतीय के हृदय में बसते हैं। उनका जीवन एक प्रकाश स्तंभ की भांति हमारे जीवन से अंधकार का नाश करता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोया और आदर्श समाज की स्थापना की।

आगे श्रीमती सिन्हा ने कहा कि हम श्री राम के जीवन पर दृष्टि डालें तो उनमें कहीं भी अपूर्णता दृष्टिगोचर नहीं होती। जिस समय जैसा कार्य करना चाहिए श्री राम ने उस समय वैसा ही किया। श्री राम रिति, नीति, प्रिति तथा भीति सभी जानते हैं। श्री राम संपूर्ण है आदर्श हैं। श्री राम ने नियम, त्याग का एक आदर्श स्थापित किया है। श्री राम ने ईश्वर होते हुए भी मानव का रूप रचकर मानव जाति को मानवता का पाठ पढ़ाया, मानवता का उत्कृष्ट आदर्श स्थापित किया। श्री राम के चार रूप दर्शाए गए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम, दशरथ नंदन, अंतर्यामी, सौपाधिक ईश्वर तथा निर्विशेष ब्रह्म। पर इन सबमें श्री राम का मर्यादा पुरुषोत्तम चरित् सर्वाधिक पूजनीय है।

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