FeaturedJharkhand

हजारीबाग में आनंद मार्गियों द्वारा गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 102 वां जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। हजारीबाग के सभी यूनिट में मनाया गया जन्मोत्सव

झारखंड ।हज़ारीबाग, इचाक, नगवा, पदमा, हेदलाग, जलमा, नरसिंह स्थान, अंबाडीह, बसरिया में आनन्द मार्गीयो का उत्साह देखने लायक था।*

*180 से ज्यादा देशों में लाखों की संख्या में लाेगाें ने धूमधाम से श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 102 वां जन्मोत्सव मनाया।*

सुबह 04:45 गुरु सकास, 05 से 05:30 पांच्जन्य, 06:07 बजे जन्मोत्सव के बाद प्रभात संगीत, वाणी पाठ के साथ किया और इसके बाद आयोजित *नारायण सेवा किया गया, जिसमे की नींबू चीनी का शरबत, रसना का वितरण किया गया। सैकड़ों लोग इस सेवा से लाभान्वित हुए।*

*इस अवसर पर आनंद मार्गियों ने नगर के विभिन्न हिस्सों में शोभा यात्रा भी निकाली गई जिसमे की सैकड़ों मार्गी महिला पुरुष और बच्चे आनंद मार्ग के स्लोगन और कीर्तन कर उत्साहित दिखे।* सोभा यात्रा की शुरुवात आनंदपुरी स्थित आनंद मार्ग जागृति से हुई।

आनंद मार्गी गण अपने गुरु के कृपा से मानवता की सेवा में लगे हुए है और मानवता का फ़र्ज़ निभाते हुए पूरे हजारीबाग़ में कई तरह के कल्याणकारी कार्य कर रहे हैं।

*इस अवसर पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ, हजारीबाग के भुक्ती प्रधान जनरल श्री राजेन्द्र कुमार राणा के द्वारा श्री श्री आनंदमूर्ति जी के समाज के प्रति योगदान पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि बिना गुरू के अध्यात्मिक विकास संभव नहीं है। इसलिए अपने गुरु के द्वारा बताये गए रास्ते पर चलकर सर्वाधिक विकास मनुष्य को करना चाहिए। आनंद मार्ग एक विपल्व है। जब से मनुष्य साधना मार्ग पर चलना प्रारंभ करता है तब से उनका आध्यात्मिक विकास शुरू से जाता है। उन्होंने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने बताया है कि पीड़ित मानवता की सेवा करना ही सच्ची ईश्वर की पूजा है। आनंद मार्ग एक संपूर्ण जीवन दर्शन है। इस दौरान सामाजिक, आर्थिक दर्शन प्रदत्त, नव्यमानवतावाद, माइक्रोसाइट, भाषा, विद्वपान इत्यादि पर प्रकाश डाला गया।*

गया डाइसिस सचिव महिला अवधुतिक आनंद लघिमा आचार्या ने बताया की *आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति का जन्म 21 मई 1921 ई. को बिहार के जमालपुर में हुआ था।* *आनंद मार्गी अपने गुरु के जन्म दिन को आनंद पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।*उन्होंने आत्मा की मुक्ति के साथ समाज सेवा के उद्देश्य से *1955 में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की*।

मार्गियों को इस शुभ अवसर पर संबोधित करते हुए आनन्द मार्ग के वरिष्ठ देवकी दादा ने बताया की *श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आध्यात्मिक दर्शन के साथ संगीत, भाषा विज्ञान, कृषि विज्ञान, अर्थ शास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, धर्म शास्त्र, नारी मर्यादा, शिशु साहित्य, योग-तंत्र, इतिहास, भारतीय दर्शन, पर्यावरण इत्यादि विषयों पर सैकड़ों पुस्तकें लिखीं. उन्होंने मात्र आठ वर्षों की अवधि में आठ भाषाओं (हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, उर्दू, अंगरेजी, अंगिका, मगही और मैथिली) में 5018 गीत रचे और उन्हें संगीतबद्ध भी स्वयं ही किया, जो प्रभात संगीत के नाम से प्रचलित है।*

आनंद मार्ग प्रचारक संघ के *विश्वभर में आनंद मार्ग के 1000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय, उच्च विद्यालय, महाविद्यालय, शिशु सदन, अस्पताल, नारी कल्याण केंद्र, अमर्ट द्वारा संचालित सैकड़ों राहत सेवा केंद्र और मास्टर यूनिट प्रोजेक्ट-ग्रामीण विकास परियोजनाएं चलायी जा रही हैं।*

यह कार्यक्रम को सफल बनाने में आनन्द मार्ग प्रचारक संघ हजारीबाग़ से सभी आनंद मार्गी का सराहनीय योगदान रहा।

Related Articles

Back to top button