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स्वास्थ्य के लिहाज से मटके का पानी शरीर के लिए रहता है अनुकूल

चाकुलिया / विश्वकर्मा सिंह
गर्मी की दस्तक होते ही देसी फ्रिज यानी मिट्टी के मटकों की पूछ परख बढ़ जाती है. गर्मी सीजन के दौरान बाजार में मटकों की मांग को देखते हुए इस साल भी चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत कुम्हारिशोल के कुम्हार द्वारा बड़े पैमाने पर मिट्टी के बर्तन व घड़े बनाए जा रहे हैं. शहर व ग्रामीण अंचल में मटकों की हर साल खपत को देखते हुए कुम्हार परिवार के लोग कई महीनों से इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. इस साल भी क्षेत्र के कुम्हारो ने महीनों पहले मटकों और सुराही का निर्माण महीनों पहले शुरू कर दिया है. मालूम हो कि आसपास के गांव से बड़ी तादाद में कुम्हार परिवार के लोग मटके और मिट्टी के बर्तन बेचने शहर पहुंचते हैं. कुछ लोगों का यह मानना है कि स्वास्थ्य के लिहाज से मटके का पानी शरीर के लिए अनुकूल रहता है. इस संबंध में न्यू इस्पात मेल के संवादाता द्वारा पूछे जाने पर कुम्हारिशोल के कुम्हार विजय पाल, केशव पाल और वरुण पाल ने बताया कि पिछले साल लाकडाउन ने घर की आर्थिक स्थिति को काफी प्रभावित किया है. साथ साथ बनाए हुए मटकों को वे चाहकर भी नहीं बेंच पाया है. इस साल यदि मौसम ठीक रहा तो थोड़ी राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि गर्मी के दिन तीन चार महीने में थोड़ी-बहुत आमदनी हो जाती है. गर्मी को देखते हुए बड़े पैमाने में मटके तैयार किए जा रहे हैं. गर्मी के सीजन में मटको की मांग बढ़ जाती है. मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर मटको तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मटके का पानी पीने के शौकीन लोग ही मटके की खरीदारी करते हैं. लेकिन बाकी सब तो वाटर कूलर से पानी पीने लगे हैं. वर्तमान में इसकी कीमत 50 रुपये से 70 रुपये के बीच बताई जा रही है.

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