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स्वयंसेवी संस्था *युगान्तर भारती* की वार्षिक आम सभा सिदरौल, नामकुम में सम्पन्न हुआ

रांची । स्वयंसेवी संस्था *युगान्तर भारती* की वार्षिक आम सभा की बैठक 18 दिसम्बर (रविवार) को सिदरौल, नामकुम में सम्पन्न हुआ। बैठक में संस्था की *अध्यक्षा, श्रीमती मधु जी, कार्यकारी अध्यक्ष, श्री अंशुल शरण, सचिव, श्री आशीष शीतल, कोषाध्यक्ष, श्री अशोक गोयल* एवं युगान्तर भारती, दामोदर बचाओ आंदोलन, स्वर्णरेखा प्रदूषण मुक्ति अभियान, सारंडा बचाओ अभियान तथा अन्य सहमना संस्थाओं के सदस्यगण उपस्थित थे।

आम सभा बैठक की अध्यक्षता करते हुए *दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता-सह- जमशेदपुर पूर्वी के विधायक श्री सरयू राय* ने कहा कि जब वर्ष 2004 में जब हम दामोदर नद को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त कराने हेतु जन-जागरूकता अभियान चलाये, पद यात्राएं कि तो लोगों ने हमारा काफी मजाक उड़ाया, परन्तु हमारी टीम ने हिम्मत नहीं हारी। दामोदर नदी के किनारे बसे लोग जो नदी के औद्योगिक प्रदूषण से सबसे अधिक भुक्तभोगी थे, उन्होंने हमारी टीम का सर्वप्रथम साथ दिया। अभियान की सफलता देख कर धीरे-धीरे पर्यावरणविद्, प्रकृति प्रेमी हमारे साथ आने लगे और हमारा मनोबल बढ़ाने लगे। जिससे हमें दामोदर, स्वर्णरेखा, खरकई, भैरवी आदि नदियों को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त कराने में काफी जन सहयोग मिला। हमने सीसीएल, बीटीपीएस के मुख्यालयों में औद्योगिक अपशिष्ट नदी में नहीं गिराने हेतु धरना प्रदर्शन, आंदोलन किया। संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों को दामोदर नद के औद्योगिक प्रदूषण को दूर करने हेतु ज्ञापन, कई तरह के अध्ययन एवं निष्कर्ष प्रतिवेदन सौंपे। न्यायालय एवं एनजीटी के शरण में भी हम लोग गये। तब जाकर हमने दामोदर और स्वर्णरेखा को औद्योगिक प्रदूषण से लगभग मुक्त करने में हमने सफलता पाई। यह पूर्ण रूप से एक सामूहिक प्रयास था।

श्री राय ने कहा कि आज नदियों को नगरीय प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा है। राँची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो जैसे शहरों के बड़े-बड़े हाउसिंग सोसाईटीज, अपार्टमेंट, पॉश कॉलोनियों का सिवरेज नालों के माध्यम से साफ दामोदर, स्वर्णरेखा एवं उनकी सहायक नदियों में सीधे गिरती है और नदी के जल को दूषित करती है। नदियों के जल में जो लाल वर्णक कीड़े पाये जाते है वे जल शोधन सामग्री अर्थात क्लोरिन, ब्लिचिंग से ये नहीं मरते है। नदियों में प्रवाह की कमी के कारण ये नदी में ही रहते है और सप्लाई पानी के माध्यम से ये हमारे नलों, घरों में प्रवेश कर जाते हैं और हमें बीमार करते हैं। आज नगरपालिकाओं एवं नगर परिषदों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। बड़े-बड़े इमारतों के कारण जो जल क्षेत्रों का अतिक्रमण हुआ है उनपर नगर निकायों को बिना किसी दबाव एवं भेदभाव के कार्रवाई करना चाहिए। नदी नालों पर से अतिक्रमण हर हालत में हटाने की जरूरत है। इको फ्रेन्डली कन्स्ट्रक्शन, उत्पाद की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सामान्य लोग प्रदूषण के सबसे भुक्तभोगी है, पीड़ित है। आज लोगों के पास विभिन्न माध्यमों से प्रदूषण के खतरों की जानकारी पहुंच रही है और वे जागरूक भी हो रहे हैं। परन्तु मेधावी मस्तिस्क के धनी व्यक्ति जो शीर्ष पदों पर विराजमान है, विभागों के प्रमुख है, नीति निर्माता है, हमें उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। आज पर्यावरण एवं प्रदूषण से संबंधित दर्जनों कानून विद्यमान है। लेकिन उनका समुचित पालन नहीं हो रहा है, उनका सही ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो रहा है, नियमों का रोज उल्लंघन हो रहा है। जब पर्यावरण एवं प्रदूषण संबंधी कानून सही ढंग से क्रियान्वित होगा तभी नगरीय प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। नगरीय प्रदूषण की बढ़ती मात्रा एवं नदियों, नालों पर अतिक्रमण होने के कारण जमशेदपुर एवं राँची के अधिकांश इमारतें अगले दस साल बाद स्लम में तब्दील हो जायेंगी। इस संभावित खतरे से बचने हेतु हमें अभी से उपाय करने होंगे। नदियों के तटों पर सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा। नदियों में हमें अपने घरों के कुड़े-कचरे नहीं फेंकना होगा। हम नगर विकास एवं राज्य सरकार के संबधित एजेंसियों को बाध्य करेंगे कि वे सभी नदी के प्रमुख स्थानों पर सिवेरज ट्रीटमेंट प्लांट लगाये। जन आंदोलन से ही प्रदूषक ईकाईयों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
श्री राय ने कहा कि प्रदूषण पर रोक लगाना एक सामाजिक और सामूहिक जिम्मेदारी है। इसे किसी संस्था अथवा सरकार के बूते की बात नहीं है। 1972 से 2022 तक जो र्प्यावरण के क्षेत्र में विकसित एवं विकासशील देष ने जो काम किया है उसका डाटा संग्रह कर एक संग्रहालय का रूप् देना चाहिए। जो आनेवाली पीढ़ी को र्प्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने हेतु मददगार साबित होगी।

श्री राय ने बताया कि नदियों को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्ति दिलाने एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने में युगांतर भारती सहित अन्य स्वयंसेवी संस्था हमलोगों का सहयोग करती आई हैं। कई स्वयंसेवी संस्था आये और चले गये लेकिन युगांतर भारती ने हमलोगों के साथ कदमताल मिलाकर हमलोगों का सहयोग किया है। आज समय के साथ युगांतर भारती का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। इसलिए मेरा सुझाव है कि युगांतर भारती अपने प्रयोगशाला को एक कम्पनी के रूप में स्थापित करे और कम्पनी के रूप् में ही उसका संचालन करे।

मुख्य अतिथि *राँची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश पाण्डेय* ने कहा कि देश में र्प्यावरण की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। देश में मौसम असामान्य हो रहा है। कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि से किसान जूझ रहे है। पढ़े-लिखे लोग ही अधिक प्रदूषण फैलाते है। बड़े-बड़े वाहनों में चलने वाले लोग सड़कों पर वाहन का शीशा खोलकर प्लास्टिक एवं रैपर सीधे सड़क पर फेंक देते है। लोगों को अपनी आदतों में सुधार करना होगा। तभी प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

बैठक में विशेष रूप से यह तय किया गया कि *आगामी 21 फरवरी से 03 मार्च 2023 तक द्वितीय पर्यावरण मेला का आयोजन राँची के मोरहाबादी मैदान* में किया जायेगा। बैठक में *डॉ. एम.के. जमुआर को पर्यावरण मेले का संयोजक* बनाया गया। मौके पर डॉ. जमुआर ने बताया कि देश में पहली बार पर्यावरण मेला का आयोजन 28 मई से 05 जून, 2018 में युगांतर भारती के द्वारा आड्रे हाउस, राँची में किया गया था। दूसरी बार यह मेला मई 2021 में प्रस्तावित था। परन्तु कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। चुंकि अब महामारी समाप्त हो चुकी है, इसलिए इस बार भव्य तरीके से मेले का आयोजन किया जाएगा। डॉ. जमुआर ने कहा कि मेले में देश के विभिन्न स्थानों से पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक कार्य, कला के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाएं भाग लेंगे।

विशिष्ट अतिथि *भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत पदाधिकारी, रविन्द्र सिंह* ने कहा कि जहाँ विकास है, वहाँ विनाश भी निवास करती है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के काफी आयाम है। जल एवं वायु प्रदूषण मानव जाति के लिए काफी खतरनाक है, ये धीमी जहर के समान हैं। आज विकास एवं र्प्यावरण के बीच संतुलन बनाने की आवष्यकता है तभी हम प्रदूषण पर काबू पाने की बात सोच सकते है।

संस्था की *अध्यक्षा श्रीमती मधु जी* ने बताया कि झारखण्ड राज्य बनने के बाद से राज्य की प्राकृतिक संसाधनों, जल एवं जलाशयों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में युगांतर भारती की महती भूमिका रही है। चाहे वह सारंडा क्षेत्र में वनों का अवैध कटाई एवं अवैध खनन का मामला रहा हो या फिर दामोदर, स्वर्णरेखा, खरकई एवं हरमू नदी में व्याप्त औद्योगिक एवं नगरीय प्रदूषण का मामला रहा हो। पर्यावरणीय संबंधी सभी क्रियाकलापों में युगांतर भारती ने अपना योगदान दिया है और संबंधित विभागों का समय-समय पर सहयोग करते हुए उन्हें जमीनी हकीकत से रूबरू भी कराया है। राज्य की युवतियों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के लिए हमारी संस्था सिलाई-कढ़ाई एवं ब्यूटीशियन का निःशुल्क प्रशिक्षण देती है।

आम सभा की बैठक में वर्ष 2022 का लेखा-जोखा युगान्तर भारती के *सचिव, आशीष शीतल* के द्वारा पेश किया गया। श्री शीतल ने कहा कि युगांतर भारती एवं अन्य सहमना संस्थाओं के सहयोग से 22 मई 2022 से 26 मई 2022 तक स्वर्णरेखा नदी की प्रदूषण यात्रा के प्रथम चरण का आयोजन किया गया। यह यात्रा स्वर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल रानीचुआँ से आरम्भ होते हुए मऊ भंडार, पूर्वी सिंहभूम में समाप्त हुई। यात्रा के दूसरे चरण के अंतर्गत 05 जून से 09 जून 2022 तक दामोदर नद प्रदूषण यात्रा आयोजित की गई। यह यात्रा धनबाद के पंचेत डैम से आरम्भ होकर इसके उद्गम स्थल चूल्हापानी, लोहरदगा में गंगा दशहरा के दिन समाप्त हुआ। दोनों ही यात्रा का निष्कर्ष प्रतिवेदन तैयार कर राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को अग्रेतर कार्रवाई हेतु सौंप दी गई है। श्री शीतल ने वर्ष 2022 में युगांतर भारती द्वारा कराये गये विभिन्न संगोष्ठी, कार्यशाला की विस्तृत जानकारी दी।

*स्वागत भाषण युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष, अंशुल शरण एवं धन्यवाद ज्ञापन युगांतर भारती के कोषाध्यक्ष, अशोक गोयल ने दिया।*

बैठक में विभिन्न जिलों से आए सदस्यों ने दामोदर, स्वर्णरेखा, सारंडा की वास्तविक प्रदूषण की स्थिति से श्री सरयू राय एवं अन्य को अवगत कराया।

वार्षिक आम सभा की बैठक में दामोदर बचाओ आंदोलन के संयोजक, प्रवीण सिंह, राँची विश्वविद्यालय के डॉ. ज्योति प्रकाश, नेचर फाउंडेशन के निरंजन कुमार सिंह, एस.एन. सिन्हा इन्सिच्यूट के सुधीर कुमार, स्वर्णरेखा मुक्ति अभियान के संयोजक, तापेश्वर केशरी, स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के आशुतोष राय, सुरेन्द्र सिन्हा, डॉ. प्रहलाद् वर्णवाल, धर्मेंन्द्र तिवारी, गोविंद मेवाड़, बालकृष्णा सिंह, आनन्द झा, अरूण राय, उदय सिंह, मुकेश पाण्डेय, संजीव कुमार, मुकेश कुमार, पवन कुमार, विजय कुमार, पुष्पा टोपनो, माधुरी सिन्हा, मुकेश सिंह, धीरेन महतो, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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