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झारखंड-बिहार के सिखों को मिले एसजीपीसी में भागीदारी पंद्रह राज्यों से हो सदस्यों का मनोनयन

जमशेदपुर। सिख संसद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर में झारखंड एवं बिहार के सिखों को भागीदारी देने की मांग जमशेदपुर के अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने उठाई है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल के रांची दौरे के क्रम में पूरे देश भर के राज्यों के सिखों को प्रतिनिधित्व देने को अधिवक्ता ने न्याय एवं तर्कसंगत बताया।
कुलविंदर सिंह ने तर्क दिया कि भागीदारी देते समय अकाली दल का सदस्य है अथवा नहीं इसकी बाध्यता भी खत्म की जानी चाहिए। पंथ के प्रति उसका समर्पण देखा जाना चाहिए।
सरदार गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने तर्क दिया कि शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सिख सांसद है और पूरे दुनिया के सिखों की नुमाइंदगी करती है, इस पर कुलविंदर सिंह ने इसे राष्ट्रीय स्वरूप देने पर जोर दिया।
कुलविंदर सिंह के अनुसार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अमृतसर की संस्था चीफ खालसा दीवान का प्रतिनिधित्व गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली तख्त श्री हरि मंदिर जी पटना साहिब प्रबंधक कमेटी में है तो क्या उन संस्थाओं को नहीं चाहिए कि वे बिहार झारखंड को भागीदारी दें?
कुलविंदर सिंह के अनुसार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में 15 सदस्य नॉमिनेट किए जाते हैं जो पंजाब राज्य सीमा के बाहर से होने चाहिए।
क्यों नहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यह संशोधन करती कि देश के अलग-अलग 15 राज्यों से जहां सिखों की आबादी है वहां से उनका एक प्रतिनिधित्व रखा जाए।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी देश के एक दो राज्यों के ही प्रमुख सिखों को मनोनीत कर लेती है।
इस पर महासचिव गुरु चरण सिंह ग्रेवाल ने आश्वस्त किया कि अगली बार ऐसा करने की कोशिश होगी। जिससे पूरे देश की सिखों की तस्वीर एकरूप में नजर आए। झारखंड
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह सेठी, बोकारो के सुरेंद्र पाल सिंह कालरा ने भी मेकैनिज्म विकसित करने पर जोर दिया। सरदार सेठी के अनुसार झारखंड से किस व्यक्ति को एसजीपीसी के लिए मनोनीत करते हैं, यह सवाल नहीं उठेगा परंतु हमारा प्रतिनिधित्व हो यही वाहेगुरु आगे अरदास है।
रांची मेन रोड गुरुद्वारा में हुई बैठक में तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के महासचिव सरदार इंद्रजीत सिंह, कोलकाता के सरदार जगमोहन सिंह के साथ झारखंड के विभिन्न गुरुद्वारों की प्रधान भी उपस्थित थे।

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