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सैरात के दुकानों की तरह होल्डिंग टैक्स में हुई बेहतासा वृद्धि पर भी सरकार रोक लगाए : सरयू राय

जमशेदपुर: जिस तरह पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने सैरात दुकानों के किराया में वृद्धि के निर्णय पर रोक लगाया उसी तरह होल्डिंग टैक्स में बेतहाशा वृद्धि पर भी सरकार को रोक लगानी होगी। कारण कि जिस प्रकार सैरात दुकानों की किराया बढ़ाने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण और नासमझी की उपज थी उसी प्रकार होल्डिंग टैक्स बढ़ाने की प्रक्रिया भी त्रुटिपूर्ण और नासमझी का प्रतीक है। यह बाते प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक सरयू राय ने कही। उन्होंने बताया की
देश के किसी भी राज्य में होल्डिंग टैक्स इस तरह नहीं निर्धारित होता है जिस तरह की प्रक्रिया इस संबंध में झारखंड में अपनाई गई है। आश्चर्य है कि होल्डिंग टैक्स बढ़ाने का संकल्प जब झारखंड सरकार की कैबिनेट में आया तो कैबिनेट में बैठे किसी भी मंत्री ने मुख्य सचिव से, जो कैबिनेट के सचिव होते हैं, या मुख्यमंत्री से यह नहीं पूछा कि होल्डिंग टैक्स को सर्किल रेट के साथ जोड़ने का क्या औचित्य है और झारखंड की आर्थिक प्रगति के मद्देनज़र इस कारण हुई होल्डिंग्स टैक्स में बेतहाशा वृद्धि से करदाताओं पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ कितना उचित और कितना व्यवहारिक होगा।
मुझे तो लगता है कि किसी भी मंत्री ने कैबिनेट में बैठने से पहले होल्डिंग टैक्स में वृद्धि के संकल्प को पढ़ा ही नहीं और जो भी संकल्प मुख्य सचिव ने पढ़ा उसपर हाँ कह दिया। करदाताओं और जनता के बीच जब कैबिनेट के इस निर्णय का विरोध होने लगा तब भी किसी मंत्री के सामने कोई लिखित मंतव्य इस बारे में नहीं दिया। कुछ लोग इस मामले में जनता के सामने कभी- कभार ज़ुबानी जमा-खर्च ज़रूर कर रहे हैं और विरोध करने वालों के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से मिलवाने की ख़ानापूर्ति कर दे रहे हैं, परंतु होल्डिंग टैक्स बढ़ाने का जो लिखित संकल्प कैबिनेट में आया और जिसपर उन्होंने सहमति दे दिया उसका लिखित विरोध करने से वे कतरा रहे हैं. आख़िर क्यों ? किया वे अपना दोहरा चरित्र प्रदर्शित कर रहे हैं? कैबिनेट में बैठकर होल्डिंग टैक्स का समर्थन करने और पीड़ितों के सामने उनसे सहमत होने का ढोंग करने वाले मंत्रियों से जनता को पूछना चाहिए।
राज्य भर में होल्डिंग टैक्स वृद्धि का विरोध हो रहा है. राज्य सरकार पर जन दबाव बन रहा है. आज नहीं तो कल सरकार को जनदबाव के सामने झुकना पड़ेगा. तब इस मामले में दोहरा चरित्र प्रदर्शित करने वाले इसका श्रेय लेने की होड़ में लग जाएँगे।
मैंने इस बारे में अपनी भावना से राज्य के मुख्य सचिव को अवगत करा दिया है और बता दिया है कि राज्य भर में सरकार के विरूद्ध आक्रोश बढ़ रहा है इसलिये वे मुख्यमंत्री से इसपर पुनर्विचार करने के लिये और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए कहें।

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