सूडान में मौत के मुंह से बाहर निकलकर शहर लौटे विनोद ने सुनाई अपनी कहानी
जमशेदपुर : सूडान की खबरों को सुनकर आज भी दिल दहल जाता है। वहीं शहर के सुंदरनगर निवासी विनोद शर्मा सूडान में मौत के मुंह से बाहर निकालकर लौट आए है। साथ ही वहां के 14 दिनों तक खौफ का मंजर वे भुल नहीं पा रहे हैं। विनोद ने सात सालों तक सूडान में रहकर परिवार का भरण पोषण किया। मगर वर्तमान में वहां के हालात बदल चुके हैं। वहीं शहर लौटने के बाद विनोद ने बताया कि वे सूडान खार्तुम में एलपीजी गैस प्लांट में लेथ मशीन का काम करते थे। टेक्निकल हैंड होने के कारण उन्हें 2016 में वहां काम मिला था। यह काम उन्हें हैदराबाद के एक साथी ने दिलवाया था। जिसके बाद से वे करीब 7 सालों तक सूडान में रहें। विनोद के कहे अनुसार दो सेना में वर्चस्व की लड़ाई सूडान में 16 अप्रैल से शुरु हुई थी। इस दौरान वे जिस गैस प्लांट में काम करते थे, उसे बंद भी करना पड़ा। साथ ही 23 अप्रैल को कंपनी में आग लगाकर लूट-पाट भी की गई थी। जिसके बाद वे वहां से दूसरे स्थान पर सुरक्षित जगह की खोज में चले गए। वहीं विनोद के दोस्त खार्तिम से कुछ किलोमीटर दूर काफुरी में रहते थे और जहां उन्होंने सरन ली। इस दौरान दोस्त ने उनका ख्याल भी रखा। इसी बीच दूतावास से उन्हें ऑपरेशन कावेरी की जानकारी मिली। जिसके बाद 28 अप्रैल को वे किसी तरह से सूडान पहुंचे। विनोद ने बताया कि उनके साथ साथ अन्य भारतीयों को 29 अप्रैल ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से सऊदी लाया गया। जिसके बाद फ्लाइट से उन्हें 30 अप्रैल को दिल्ली लाया गया। साथ ही उसी दिन वे जमशेदपुर भी पहुंच गए थे। वहीं घर पहुंचने के बाद ही उनकी जान में जान आई। वहीं संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार सूडान में हुई हिंसा में 500 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 3700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में खार्तूम में मौजूद मिस्त्र दूतावास के एक अधिकारी भी शामिल हैं। सूडान से विभिन्न देशों के 4 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा सका है। साथ ही घर भी पहुंचाने का काम किया गया है। वहीं सूडान के लोग बड़ी संख्या में चाड, ईजिप्ट और दक्षिण सूडान पलायन कर गए हैं। इस दौरान लोगों को पानी, खाना और दवाईयों की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह युद्ध प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई थी। जिसमें मौजूद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सूडान के मौजूदा हालात से पीएम को अवगत कराया था। वहीं बैठक में पीएम ने वहां फंसे हुए भारतीयों को हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में हुए हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुए तख्तापलट से जुड़ी हुई हैं। बताया जा रहा है कि अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों की ओर से लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और तभी से सेना एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है। सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंदिता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है। जबकि ताजा झड़प की वजह सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्धसैनिक बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।