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सुहागिन स्त्री


जब पति विदेश जाता है पैसे कमाने तब पत्नी लिखती हैं।

नर्म हाथों की हिना महंकी हुई बन जाएंगे,
दिन गुलाबी और रातें शबनमी बन जाएंगे।
जो बैठे हो दूर शहर मे,ओ मेरे प्यारे साजन,
हमारी तुमको याद न आई, ओ मेरे प्यारे साजन।
प्यार के रंगों से खिल कर रंगीन जिंदगी बन जाएंगे,
इस तरह चाहेंगे तुझको बेखुदी बन जाएंगे।
मै हूँ अकेली,मै हूँ तन्हा,तुझको मेरी फ़िक्र नहीं है,
राह तुम्हारी देख रही हूँ कब आओगे ओ साजन।
इश्क की मचली हुई सी हसरतों से जाने मन,
धड़कनों के साज पर हम मौशिकी बन जाएंगे।
तुम आओगे तो मिलकर,खनकाऊंगी चूड़ी कंगना,
बिन्दी मेरी चमक उठेगी,जब आओगे तुम सजना।
डुब कर मदमस्त आँखों में साजन हम आपकी,
रांझा की हम तस्वीर सुंदर बन जाएंगे।
पायल भी छनकेगी मेरी,गजरा भी मंहकेगा मेरा,
अधरों पर मुस्कान रहेगी,जब तुम आओगे साजन।
फिर लिखी जाएगी जब तकदीर तेरी और मेरी,
मांग कर एक दूसरे में समा जायेंगे
अब छिपाये छिप नही सकती कहानी प्यार की,
पर तेरी खुशियों की खातिर शौहरजबीं बन जाएँगे।
याद है पहली दफा “माना” से जब टकराए हम,
जिंदगी के पल वो मेरी बंदगी बन जाएंगे।।

*स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएं*

*अंतरराष्ट्रीय **
*हास्य कवि व्यंग्यकार*
*अमन रंगेला “अमन” सनातनी*
*सावनेर नागपुर महाराष्ट्र*
*9579991969**

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