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सिदगोड़ा सूर्य मंदिर परिसर में सात दिवसीय दिव्य दार्शनिक रसमय प्रवचन एवं संकीर्तन 11 सितंबर से, घनश्याम कृपालु धाम वृंदावन एवं सूर्य मंदिर समिति कर रही संयुक्त रूप से आयोजन,

वृंदावन से पधार रहे स्वामी श्री रामदास जी करेंगे आध्यात्मिक प्रवचन का वर्णन,सूर्य मंदिर परिसर के शंख मैदान में प्रतिदिन संध्याकाल में दिव्य दार्शनिक प्रवचन एवं संकीर्तन का होगा आयोजन

जमशेदपुर। सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर में घनश्याम कृपालु धाम वृंदावन एवं जमशेदपुर सूर्य मंदिर समिति के संयुक्त सौजन्य से सात दिवसीय दिव्य दार्शनिक प्रवचन एवं संकीर्तन का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन आगामी 11 सितंबर से 17 सितंबर तक सूर्य मंदिर के शंख मैदान में संध्या 5:30 बजे से 8:30 बजे किया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को सूर्य मंदिर के सभागार में सम्पन्न प्रेस वार्ता में दी गयी। इस दौरान सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, घनश्याम कृपालु धाम वृंदावन से जुड़े डॉ नारायण पांडेय, सूर्य मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अमरजीत सिंह राजा, मीडिया प्रभारी प्रेम झा एवं उज्जवल तिवारी मौजूद रहे। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने बताया कि 11 से 17 सितंबर तक सूर्य मंदिर के शंख मैदान में वृंदावन धाम से लौहनगरी जमशेदपुर पधार रहे रसिक संत शिरोमणि श्री घनश्याम दास जी महाराज के प्रचारक स्वामी श्री रामदास जी के मुखारबिंद से सात्विक एवं दिव्य प्रवचन का आयोजन सुनिश्चित किया गया है। जिसमें प्रतिदिन संध्याकाल में संकीर्तन, भजन, प्रवचन एवं आरती के साथ रूप ध्यान सम्पन्न होगा। बताया कि सूर्य मंदिर समिति धर्म एवं संस्कृति संरक्षण के कार्यों में सदैव आगे बढ़कर कार्य करती रही है। उन्होंने इस दिव्य मानव कल्याण के प्रवचन व रसमय संकीर्तन में लौहनगरीवासियों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने का अनुरोध किया है।

वहीं, घनश्याम कृपालु धाम वृंदावन से जुड़े डॉ नारायण पांडेय ने बताया कि हम सभी जीव परमानन्द स्वरुप भगवान के अंश होते हुए भी अनादिकाल से संसार में अनवरत प्रयास करने पर भी ऐसा सुख, आनंद, शांति नहीं पा सके जो सदा के लिए हो। हमारे सनातन वैदिक दर्शन के ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद्, पुराण, गीता इत्यादि में जीव के कल्याण अर्थात “सदा के लिए दुःख-निवृत्ति एवं सदा के लिए अनंत आनंद की प्राप्ति” हेतु सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दिए गए हैं। लेकिन कलियुग के इस काल में मनुष्य की अल्प आयु और अल्प बुद्धि से शास्त्रों वेदों को पढ़ना-समझना लगभग असंभव है।

उन्होंने बताया कि हम कौन हैं? हमें मानव देह क्यों मिला है? हम सुख चाहते हैं लेकिन हमें दुःख क्यों मिलता है? सबकुछ भगवान की इच्छा से होता है, तो संसार में दुःख और पाप क्यों है? धार्मिक कर्म को करने पर भी हमारा दुःख दूर क्यों नहीं होता? “गुरु” और “भगवान” कौन हैं? उनकी कृपा कैसे मिलेगी? ऐसे ही सभी मूलभूत प्रश्नों के अत्यंत ही सरल बोधगम्य भाषा-शैली में एवं वेदों-शास्त्रों के प्रमाण सहित निराकरण हेतु वृंदावन के रसिक संत शिरोमणि “श्री घनश्यामदास जी महाराज” के प्रचारक “स्वामी श्री रामदास जी ” का “सप्त दिवसीय दिव्य रसमय प्रवचन एवं संकीर्तन” कार्यक्रम आयोजित किया गया है। डॉ नारायण पांडेय ने आग्रह करते हुए कहा कि आत्मकल्याण के आकांक्षी जीव अधिक से अधिक संख्या में इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाकर इसे सफल बनाये

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