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सीएजी रिपोर्टः मंत्री का रिपोर्ट को ही गलत बताना दुर्भाग्यजनक बोले सरयूः सीबीआई जांच के लिए कोर्ट जाएंगे

कोट एंड कोट “स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की खरीद में अनियमितता, ऊंचे मूल्य पर दवाओं की खरीद करना, कम शक्ति वाली दवाओं की खरीदी और केंद्र सरकार से कोविड काल में मिले धन का मात्र 32 प्रतिशत ही खर्च करना और उसमें भी बंदरबांट करना, ये जनस्वास्थ्य के प्रति अपराध है।“


जमशेदपुर। जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि सीएजी के अंकेक्षण रिपोर्ट में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार एवं घपले-घोटालों के पर्दाफाश का स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी द्वारा बचाव किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री राय ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का जो नंगा नाच हुआ है, उसके दोषियों पर कार्रवाई करने के बदले स्वास्थ्य मंत्री सीएजी रिपोर्ट को ही गलत बता रहे हैं।

यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि यदि झारखंड सरकार और इसके स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य विभाग में विगत पांच वर्षों में हुए भ्रष्टाचार और घपले-घोटालों पर कार्रवाई करने के बदले इसका बचाव करेंगे तो यह विषय न्यायपालिका में जाएगा और जिस तरह से चारा घोटाले में सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय के हस्तक्षेप से सीबीआई जांच हुई, उसी तरह से स्वास्थ्य विभाग के इस भ्रष्टाचार की जांच भी सीबीआई से कराने की मांग की जाएगी।

श्री राय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की खरीद में अनियमितता, ऊंचे मूल्य पर दवाओं की खरीद करना, कम शक्ति वाली दवाओं की खरीदी और केंद्र सरकार से कोविड काल में मिले धन का मात्र 32 प्रतिशत ही खर्च करना और उसमें भी बंदरबांट करना, ये जनस्वास्थ्य के प्रति अपराध है।

उन्होंने कहा कि सीएजी ने जिन बिंदुओं पर अपने अंकेक्षण प्रतिवेदन में संकेत किया है, वे बिंदु वास्तव में आपराधिक षड़यंत्र का हिस्सा हैं। इस षड़यंत्र में तत्कालीन मंत्री, तत्कालीन सचिव और जिलों में पदस्थापित सिविल सर्जन शामिल हैं। यह सरकारी निधि के दुरुपयोग और जनता के स्वास्थ्य के प्रति किया गया अपराध है, जिसके दोषियों को हर हालत में दंडित किया जाना जरूरी है।

निम्नांकित बिंदु ऐसे हैं जिनकी ओर सीएजी रिपोर्ट में इशारा किया गया है और जिसके दोषियों पर कार्रवाई जरूरी है।
1 जरूरी दवाओं की भारी किल्लत-राज्य के सरकारी अस्पतालों में हालात इतने खराब हैं कि 65 से 95 प्रतिशत तक जरूरी दवाएं हैं ही नहीं। सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं और मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
2.कोविड फंड घोटाला-केंद्र ने कोविड-19 प्रबंधन के लिए 483.5 करोड़ रुपये जारी किये। राज्य को 272.88 करोड़ रुपये जोड़ने थे। लेकिन कुल 756.42 करोड़ रुपये में से सिर्फ 137 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके। नतीजा यह हुआ कि आरटीपीसीआर लैब, ऑक्सीजन प्लांट और अस्पतालों की बुनियादी सुविधाएं अधूरी रह गईं।
3.मातृत्व लाभ योजना में खुली लूट-राज्य के बोकारो और धनबाद जिलों में मातृत्व लाभ योजना में खुला खेल खेला गया। चार माह के भीतर ही एक ही महिला को दो बार लाभ दे दिया गया और हर बार 1500 रुपये की अनुग्रह राशि दी गई। यह सिर्फ एक उदाहरण है। असल में इस किस्म की अनगिनत गड़बड़ियां हो रही हैं।
4.आयुष्मान भारत और अबुआ स्वास्थ्य योजना में धांधली-हेमंत सरकार की अबुआ स्वास्थ्य योजना के नाम पर गरीबों को ठगा जा रहा है। योजना की शर्ते ऐसी रखी गईं कि सिर्फ बड़े और कॉरपोरेट अस्पतालों को ही फायदा मिले। ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों को इससे बाहर कर दिया गया।
5.निजी अस्पतालों की चांदी-सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली में निजी अस्पतालों की चांदी कर दी है। सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है और आम जनता को इलाज के लिए महंगे निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

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