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ओह कुन्नी का बलात्कार ?

दाने फेंक जाल बिछाता
*बघेलिया* बझाता जैसे बगेरियों को!

कांग्रेसी, घोषणापत्र (मादक-मोहक)परोस
फांस लिया छत्तीसगढ़ियों को।।

*बिन साया की साड़ी* बांट!
विजयमाल पहने असंस्कारी!
*ईद* मना हवेलियों में
मुख्तार बने अंसारी।।

लोभ-लालच तृष्णा!
हश्र होता क्या कृषणा?

कयास लगते ही रहे!
दूल्हा बने बघेल।
हांथ मलते ही
रह गए *रक्सेल*।।

*कुल-कलंक
कोठी का दुर्भाग्य*
अरमान अधूरे रह गए!
मिला क्या सत्कार?
*ओह कुन्नी का बलात्कार*!

स्व रचित रचना आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर 04 फरवरी 2022

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