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सिंहभूम लोक सभा सीट से इंडिया गठबंधन की झामुमो प्रत्याशी जोबा मांझी को जिताने में इनका रहा महत्वपूर्ण योगदान


चाईबासा। सिंहभूम लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी जोबा मांझी को चुनाव में जिताने में इन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था।
जोबा मांझी की जीत के लिए चंपई सोरेन सरकार के कैबिनेट मंत्री और चुनाव जीतने के रणनीतिकार कल्याण मंत्री दीपक बिरुआ की भूमिका सामने आ रही है। हां दीपक बिरुआ अपने सहयोगी विद्यायक निरल पूर्ति के साथ गीता कोड़ा अभियान का खाका तैयार कर पूरे लोकसभा में टीम बना कर सफल बनाने का काम किए हैं। दीपक बिरुआ अपने विधानसभा के अलावा जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र को भी संभालने का काम किया। उनके साथ पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला अध्यक्ष ने निसार हुसैन उर्फ डोगर की भूमिका अहम रही है। निसार हुसैन ने लोकसभा में अल्पसंख्यकों को एकजुट करने का काम काम किए। दीपक बिरुआ ने जगन्नाथुर से कोड़ा दम्पत्ति राजनीतिक विरासत को उखाड़ फेंकने के लिए अपनी पार्टी के और जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरीन को भी जिम्मेदारी सौंपी, जिसे ईमानदारी पूर्वक पूरे लोकसभा में जी तोड़ मेहनत की। पूर्व विधायक श्री मंगल सिंह बोबोंगा को भी जोबा मांझी के जीत के लिए योजना बनाई। मंगल सिंह बोबोंगा ने अपने आखों की तकलीफ को झेलते हुए भरसक प्रयास किया। चुनाव में अपना दम खम लगा दिया। दीपक बिरुआ ने पार्टी लाईन से हट कर कोड़ा भगत जगन्नाथपुर विधानसभा के विधायक को भी अपने पक्ष में करते हुए आगे की रणनीति के तहत कोड़ा हराओ अभियान का हिस्सा बनाने में सफल रहे। सरायकेला विधानसभा छोड़ कर किसी भी विधान सभा क्षेत्र से गीता कोड़ा अपना वोट परसेंटेज को जोबा मांझी से अधिक नहीं कर पाई। यह चुनाव कोड़ा दंपत्ति के लिए भारी नुकसानदायक साबित हुआ साथ ही जगन्नाथपुर विधानसभा से अपना सब कुछ हारने जैसा रहा। सूत्रो की माने तो भाजपा में जाने का फैसला आत्मघाती कदम रहा। भाजपा में शामिल होने के बाद हो जाती का कार्ड खेलने में असफल रहे।आदिवासी समुदाय को अपने पक्ष में करने में विफल रहे। इस चुनाव में आदिवासी समुदाय भाजपा के साथ साथ कोड़ा दंपति के विरोध में रहे। यह भी कहा जा रहा है कि जोबा मांझी की सादगी कोड़ा दम्पत्ति के सब मामले पर भारी रहा।

मंत्री दीपक बिरुआ ने अपने पुराने आंदोलन के समय के दोस्तों को खोज खोज कर जोबा मांझी को जिताने के लिए लगाने का काम किए। इस में पुराने दोस्त और आजसू पार्टी के सस्थापक सूर्य सिंह बेसरा के करीबी रहे गणेश प्रसाद को आदित्यपुर गम्हरिया में प्रचार प्रसार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

कोड़ा दम्पत्ति के भाजपा में जाते ही सिंहभुम की हो आदिवासी जनता विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, वहीं चाइबासा तांबो चौक में आदिवासी रीति रिवाज से अंतिम संस्कार भी किया गया। गम्हरिया में गीता कोड़ा को बंधक तक बनाने का प्रयास किया गया था।

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