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सामाजिक सहयोग से संचालित ग्रामीण पुस्तकालय युवाओं के सपनों को दे रहे ऊंची उड़ान।

तत्कालीन मुसाबनी अंचल अधिकारी व वर्तमान में डुमरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी की पहल पर शुरू किए गए नि:शुल्क पुस्तकालय, दो पालियों में विषय विशेषज्ञ बच्चों का करते हैं मार्गदर्शन।वर्तमान में मुसाबनी में 3 व डुमरिया प्रखंड में संचालित किए जा रहे 4 पुस्तकालय।आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा व 10वीं तथा 12वीं के लिए उपलब्ध कराये जाते हैं नोट्स व दी जाती है नि:शुल्क कोचिंग।जिला प्रशासन द्वारा भी 30 सामुदायिक भवनों में पुस्तकालय निर्माण का कार्य सामाजिक सहयोग से किया जा रहा।आइए इस नेक कार्य का हिस्सा बनें तथा यथासंभव पुस्तक व अन्य पठन-पाठन सामग्री का दान कर ग्रामीण परिवेश में रह रहे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में सहभागिता दिखाएं- श्री सूरज कुमार, उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी।आशा का दीप एक ऐसा जला, उजियारा जिसके चहूं ओर हो।बन मशाल तू दूसरों की, उम्मीदों का किरण घनघोर हो ।

भारतीय संविधान में शिक्षा का मौलिक अधिकार भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है लेकिन कुछ लालायित आंखें आज भी आर्थिक विसंगतियों के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से दूर हैं । कुछ ऐसे ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग लेकिन कुछ कर गुजरने की चाहत रखने वाले बच्चों के सपनों को ऊंची उड़ान देने के उद्देश्य से ग्रामीण पुस्तकालय की परिकल्पना वर्ष 2016-17 में तत्कालीन मुसाबनी सीओ व वर्तमान में डुमरिया बीडीओ श्री साधुचरण देवगम द्वारा की गई थी । मुसाबनी एवं डुमरिया के शिक्षकों एवं समाजसेवियों की एक टीम गठित कर शुरू किए गए ग्रामीण पुस्तकालय की संख्या आज 1 से बढ़कर 7 हो गई है वहीं इसमें लगभग 245 बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ ले रहे हैं । डुमरिया बीडीओ श्री साधुचरण देवगम बताते हैं कि वर्तमान में सामाजिक सहयोग से 2 पुस्तकालयों में डिजिटल शिक्षा की सुविधा बच्चों को दी जा रही है वहीं अन्य 5 पुस्तकालयों को भी आने वाले समय में पूरी तरह से डिजीटल करने की तैयारी है । वर्तमान में 3 पुस्तकालय मुसाबनी में वहीं 4 पुस्तकालय डुमरिया प्रखंड में संचालित किए जा रहे हैं ।

*मुसाबनी व डुमरिया प्रखंड में संचालित ग्रामीण पुस्तकालयों के नाम व बच्चों की संख्या निम्नवत हैं-*

1. फूलो झानो पुस्तकालय सह-अध्ययन केंद्र, जिला परिषद- डाक बंगला, मुसाबनी(90-100 बच्चे), पूरी तरह डिजिटल

2. बिंदु-चांदन पुस्तकालय, मेढ़िया पंचायत मुसाबनी(40 बच्चे), पूरी तरह डिजिटल

3. ग्रामीण पुस्तकालय, तहसील कचहरी, बकुलचंदा, मुसाबनी(15 बच्चे)

4. सिद्धु-कान्हू पुस्तकालय, कापागोड़ा, धोबनी पंचायत, डुमरिया (40 बच्चे)

5. ग्रामीण पुस्तकालय, किसान भवन हडदा, डुमरिया(20 बच्चे)

6. ग्रामीण पुस्तकालय, लखाईडीह, डुमरिया(20 बच्चे)

7. ग्रामीण पुस्तकालय, बादलगोड़ा, केंदुआ पंचायत, डुमरिया(25 बच्चे)
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पुस्तकालयों के संचालन को लेकर डुमरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री साधुचरण देवगम बताते हैं कि सामाजिक सहयोग के आह्वान पर कुछ सरकारी शिक्षक तथा अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ जो नि:शुल्क इस कार्य में अपनी भागीदारी निभा सकते थे उन्होने सहर्ष इस मुहिम से जुड़ना स्वीकार किया । उन्होने बताया कि वे खुद अपनी सरकारी सेवा से समय निकालकर प्रतियोगी परीक्षा जैसे जे.पी.एस.सी आदि की तैयारी कर रहे बच्चों को इतिहास, राजव्यवस्था एवं झारखंड का इतिहास विषय पढ़ाते हैं वहीं मो. सुलेमान (रसायन विज्ञान), विवेक कुमार (जीवविज्ञान), राजेश कैवर्त(भूगोल एवं व्यक्तित्व विकास), बासेत मार्डी (भौतिकी विज्ञान), गौरव कुमार(अर्थशास्त्र) की शिक्षा देते हैं तथा सभी पुस्तकालयों के संचालन में समन्वयक की महत्वपूर्ण भूमिका सामाजिक कार्यकर्ता भोजो सिंह बानरा द्वारा निभाई जाती है । श्री रामनरेश सोनी, अंचल अधिकारी, डुमरिया एवं श्री विनोद टुडू, थाना प्रभारी, डुमरिया का भी उक्त पुस्तकालयों के संचालन में महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होता है ।

प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री साधुचरण देवगम बताते हैं कि बच्चों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए नोट्स की समस्या नहीं आए ऐसे में वे देश-विदेश व राज्य में अच्छे पदों पर कार्य कर रहे अपने दोस्तों तथा जिला प्रशासन के पदाधिकारियों से भी नोट्स लेकर बच्चों को उपलब्ध कराते हैं । उन्होने बताया कि छुट्टी के दिन अगर जिला प्रशासन के कोई पदाधिकारी बच्चों का मार्गदर्शन कर सकते हैं तो उनसे भी आग्रह होता है कि वे आएं एवं इस सामाजिक सरोकार के कार्य में अपनी सहभागिता निभायें । उन्होने बताया कि इस सप्ताह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री रोहित कुमार द्वारा मुसाबनी के मेढ़िया पंचायत स्थित बिंदु-चांदान पुस्तकालय, फूलो झानो पुस्तकालय एवं डुमरिया के हड़दा पुस्तकालय में आकर जे.पी.एस.सी परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चो को समसामयिक घटनाओं एवं झारखंड के इतिहास विषय पर साथ ही अंचल अधिकारी डुमरिया श्री रामनरेश सोनी द्वारा हिंदी साहित्य एवं समसामयिक घटनायें पर सारगर्भित मार्गदर्शन किया गया ।

मेढ़िया पंचायत स्थित बिंदु-चांदान पुस्तकालय के संचालन की जिम्मेदारी मिर्जा हांसदा(jpsc aspirant) तथा वहां के ग्रामीणों द्वारा ही की जाती है जिसमें समय-समय पर विषय विशेषज्ञों द्वारा बच्चों का मार्गदर्शन किया जाता है । मेढ़िया गांव के ही रहने वाले साफ्टवेयर इंजीनियर दुखीराम हेम्ब्रम, आंध्रा बैंक में मैनेजर कादे मुर्मू व लंदन में चिकित्सक के रूप में कार्यरत डॉ. धुनी सोरोन का भी पुस्तकालय के संचालन में महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होता है ।

जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री रोहित कुमार कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अलख जगाने और सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को मुख्यधारा की शिक्षा पद्धति से जोड़ते हुए उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की यह मुहिम काफी सराहनीय है ।

इस मुहिम से वर्ष 2016-17 से ही जुड़े रहे राजेश कैवर्त बतातें है कि तत्कालीन मुसाबनी अंचल अधिकारी एवं वर्तमान डुमरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री साधुचरण देवगम के स्थानांतरण तथा 2 वर्ष के कोरोनाकाल में लॉकडाउन अवधि के बाद दोबारा 21 फरवरी 2021 से सुचारू रूप से पुस्तकालयों का संचालन डुमरिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री साधु चरण देवगम के मार्ग दर्शन में किया जा रहा है । वे कहते हैं कि संसाधनों के अभाव व आर्थिक तंगी की वजह से ग्रामीण परिवेश के बच्चे बड़े शहरों का रूख नहीं कर पाते हैं ऐसे में उन्हें अपने प्रखंड एवं पंचायत में ही डिजिटल लाइब्रेरी उपलब्ध कराने की यह मुहिम निश्चित ही बच्चों का उज्ज्वल भविष्य सुनहरे अक्षरों से लिखेगी ।

पुस्तकालय का लाभ लेने वाले बच्चों में से जया प्रभा, कृष्णा राम व मुनमुन सोरेन का कहना है कि इस सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में पुस्तकालय खुलने से हमें पढ़ने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ा, इससे घरवालों को भी आर्थिक बोझ का सहन नहीं करना पड़ रहा है। सभी बच्चों ने इस पहल के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी डुमरिया एवं इस कार्य से जुड़े पूरी टीम को धन्यवाद कहा ।

*उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी श्री सूरज कुमार ने सामाजिक सहयोग से संचालित पुस्तकालयों को लेकर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित ही यह मुहिम अन्य पदाधिकारियों एवं सामाजिक कार्य में अग्रणी लोगों के लिए प्रेरणा का कार्य करेगी । उन्होने कहा कि इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ग्रामीण परिवेश में रह रहे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास है जिससे उन्हें व उनके परिवारवालों को आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ता है । साथ ही उन्होने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा भी जिले के 30 सामुदायिक भवनों में पुस्तकालय खोलने का कार्य किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री उपलब्ध हो सके । उन्होने जिलेवासियों से अपील करते हुए कहा कि आइए इस नेक मुहिम का हिस्सा बनें तथा यथासंभव सहयोग किताब व अन्य पठन-पाठन के लिए जरूरी सामग्री का दान कर करें जिससे इन सुदूर ग्रामीण परिवेश के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण हो तथा देश के विकास में ये अग्रणी भूमिका निभायें ।

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