सर्वोच्च न्यायालय ने केबल कंपनी को नीलाम करने वाले आदेश को निरस्त किया
केबल कंपनी को नीलाम करने वाला विज्ञापन निरर्थक साबित हुआ :सरयू राय
जमशेदपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने केबुल कंपनी (इंकैब) के मुकदमे पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसका दूरगामी प्रभाव होगा। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से एनसीएलटी द्वारा पूर्व में पारित किया गया कंपनी को नीलाम करने वाला आदेश निरस्त हो गया है। कंपनी को बेचने के लिए विज्ञापित किया गया प्रस्ताव भी निरर्थक हो गया है और कंपनी को नये सिरे से पुनर्जीवित करने और इसकी परिसंपत्तियों को राज्य हित में उपयोग करने का रास्ता खुल गया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से हमलोगों की बात सही साबित हो गयी है कि इसके पूर्व के प्रबंधन की बेईमानी और बदइंतजामी के कारण कंपनी रुग्ण हो गयी और नीलामी के कगार पर पहुँच गयी। मैंने दो बार गोलमुरी थाना में इस आशय की प्राथमिकी दर्ज किया कि इंकैब की परिसंपत्तियो की चोरी प्रबंधन की मिलीभगत और लापरवाही के कारण की जा रही है। परंतु इस बारे में पुलिस ने अबतक कोई कारवाई नहीं किया है।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के आलोक में मैं फिर से राज्य सरकार से आग्रह करूँगा कि वह इसमें हस्तक्षेप करे और शेष परिसंपत्तियों एवं 177 एकड़ जमीन के आधार पर यहाँ औद्योगीकरण का नया ढाँचा खड़ा करे। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय को एनसीएलटी द्वारा कंपनी को नीलामी पर चढ़ाने का निर्णय भी निरस्त हो गया है। अब इसका प्रबंधक े समूह को बताना पड़ेगा कि कंपनी के ऊपर कुल देनदारी को उन्होंने 21 करोड़ से बढ़ा कर 2339 करोड़ रुपया कैसे कर दिया? देश में बदइंतजामी और प्रबंधकों की मिलीभगत के कारण एक सक्षम कंपनी के रुग्ण हो जाने और नीलामी के कगार पर पहुँच जाने का यह एक अनोखा उदाहरण है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मजदूरों के हित में है और मजदूरों के हित की रक्षा करने के लिए राज्य की सरकार को आगे आना होगा। सरकार ने ऐसा नहीं किया तो हमें इसके लिए संघर्ष करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।