सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ,बिरसानगर विद्यालय में प्रांतीय प्रधानाचार्य की दो दिवसीय बैठक 3/4 अगस्त को
जमशेदपुर। शुक्रवार को प्रगति सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बिरसानगर विद्यालय में दिनांक : 03/08/2024, शनिवार से 04/08/2024, रविवार तक संपन्न होने वाली ‘प्रांतीय प्रधानाचार्य बैठक’ हेतु प्रेस वार्ता की गई, जिसमें जमशेदपुर विभाग के विभाग प्रमुख तुलसी प्रसाद ठाकुर, विद्यालय के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, प्रधानाचार्य अभिलाष गिरी एवं विभिन्न मीडिया प्रभारी मौजूद थे। इस दो दिवसीय बैठक में झारखंड प्रांत में चलने वाले “सी एवं डी” श्रेणी के लगभग 125 प्रधानाचार्य सम्मिलित होने वाले हैं। ब्रह्मा जी राव (अखिल भारतीय मंत्री), ख्याली राम (क्षेत्रीय संगठन मंत्री, उतर पूर्व क्षेत्र), अजय कुमार तिवारी (प्रदेश सचिव झारखंड) का मार्गदर्शन प्राप्त होने वाला है। विगत कार्य योजना की समीक्षा एवं आगामी के लिए कार्य योजना का निर्माण हेतु चर्चा-वार्ता होने वाली है। विभाग प्रमुख तुलसी प्रसाद ठाकुर ने विभिन्न मीडिया के मीडिया प्रभारियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्या भारती विद्यालय सरस्वती शिशु विद्या मंदिर अपनी मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक शैक्षिक संगठन है। संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन 1925 में हुआ परंतु शैक्षिक क्षेत्र में अपने भारतीय संस्कृति की पहचान एवं गतिविधियों के प्रचार प्रसार तथा आने वाली पीढियों को जागृत करने के लिए 1952 में शिशु मंदिर की स्थापना की गई जो आज पूरे भारतवर्ष में एक वटवृक्ष की तरह इनकी शाखाएं कार्य कर रही हैं। विद्या भारती की स्थापना 1977 में किया गया। अखिल भारतीय स्तर पर विद्या भारती 11 क्षेत्रों में विभाजन कर कार्य कर रही है। हमारा झारखंड और बिहार मिलकर उतर पूर्व क्षेत्र कहलाता है। झारखंड प्रांत में तीन समितियॉं हैं।
1. विद्या विकास समिति।
2. वनांचल शिक्षा समिति।
3. जनजातीय शिक्षा समिति।
झारखंड प्रांत में 8 विभाग में लगभग 220 विद्यालय एवं 23 एकल विद्यालय है। झारखंड प्रांत में 2 प्रकल्प विद्यालय भी संचालित है। विद्या भारती ग्रामीण, वनवासी क्षेत्रों में भी कार्य कर रही है। अपेक्षित बस्तियों में संस्कार केन्द्र चलाए जा रहे हैं। विद्या भारती का एकमात्र उद्देश्य ऐसी शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जिसके द्वारा ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण हो सके जो हिंदूत्व निष्ट एवं राष्ट्र भक्ति से ओत-प्रोत हो एवं जिनके चेहरे पर आभा, शरीर में बल, मन में प्रचंड इच्छा-शक्ति, बुद्धि में पांडित्य, जीवन में स्वालंबन, ह्रदय में शिवा, प्रताप, ध्रुव, प्रहलाद की जीवन गाथाएं अंकित हो।