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सांकची थाना में विवाहित महिला को गैर कानूनी रूप से 2 रात थाना में रख कर पूछताछ करना अपराध : सरफराज हुसैन

जमशेदपुर। ऑल इंडिया माईनॉरीटी सोशल वेलफेयर फ्रंट प्रवक्ता सरफराज हुसैन ने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल झारखण्ड, डीजीपी झारखण्ड को पत्र लिखकर मांग की है की साकची थाना प्रभारी पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।

फ्रंट प्रवक्ता सरफराज हुसैन ने पत्र के माध्यम से राज्यपाल, मुख्यमंत्री, डीजीपी को घटना से अवगत करवाया है , की विगत दिनों चाँद नामक व्यक्ति जिसे किसी मामले में पुलिस उसे खोज रही थी। चाँद नहीं मिला तो 29 वर्षीय विवाहित बहन सोनी परवीन को ससुराल से लाकर साकची पुलिस दो रात थाने में ही रखा। यह सीधे सीधे गैर कानूनी एवं सुप्रीम कोर्ट की आदेश का उल्लंघन है।
फ्रंट प्रवक्ता सरफराज हुसैन ने पत्र में विभिन्न धाराओं का उल्लेख कर गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है।
सीआरपीसी की धारा 46 (4) का उल्लंघन है !

श्री हुसैन ने कहा है अपराध और अपराधियों के साथ सख्ती से पेश आए पूर्वी सिंहभूम प्रशासन, हमारा जमशेदपुर शहर अपराध मुक्त हो लेकिन एक लड़का चाँद जिसे पुलिस किसी मामले में खोज रही है नहीं मिला तो शादीशुदा 29 वर्षीय सोनी परवीन उस की बहन को पुलिस ने पूछताछ के लिये रात भर थाना में बैठा कर रखा जो गैर कानूनी प्रक्रिया और प्रथम दृष्टया अपराध है।

पत्र में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 46 (4) के तहत किसी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
शिकायत पत्र में फ्रंट प्रवक्ता सरफराज हुसैन ने लिखा भारत में महिलाओं के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए और महिलाओं से संबंधित मामलों की जांच के बाद, सीआरपीसी, 1973 में संशोधन लाया गया, जिसमें सीआरपीसी की धारा 46 (4) के अनुसार महिलाओं को कुछ छूट दी जा सकती है।

यह संशोधन पुलिस अधिकारियों द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़ी विभिन्न घटनाओं के संज्ञान में आने के कारण किया गया है और महिलाओं की रक्षा के लिए और उनके कल्याण और सुरक्षा के लिए इसमें संशोधन किया गया था।

शिकायत पत्र में 135वें विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया:-
135वें विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले महिलाओं को गिरफ्तार करना गैर कानूनी है। यदि अधिकारियों के साथ एक महिला कांस्टेबल भी है, तो भी पुलिस सीमित अवधि में महिलाओं को गिरा द्वार नहीं कर सकती है।

सीआरपीसी की धारा 46 (4) के तहत किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
असाधारण परिस्थितियों में, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की पूर्व अनुमति के बाद ही किसी महिला की गिरफ्तारी की जा सकती है।

सीआरपीसी की धारा 160 के तहत किसी भी उम्र की महिला को थाने में नहीं बुलाया जा सकता है।
उसके बयान केवल एक महिला कांस्टेबल और उसके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में उस स्थान पर दर्ज किए जा सकते हैं जहां वह रहती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलनघन:

सुप्रीम कोर्ट ने शीला बरसे बनाम महाराष्ट्र राज्य में कहा था कि किसी भी महिला को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस अधिकारियों द्वारा नियमों का पालन किया जाना है।

हाल ही में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कविता माणिककर बनाम सीबीआई के मामले में

50,000/- रुपये का जुर्माना लगाया। सुश्री कविता माणिककर को अवैध गिरफ्तारी करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर, जिसमें सीबीआई के अनुसार, वह नीरव मोदी के स्वामित्व वाली तीन फर्मों की अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थीं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी के संबंध में विभिन्न ऐतिहासिक निर्णय भी पारित किए हैं, जैसे जोगिंदर कुमार बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. (1994) 4 एससीसी 260 एवं अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) 8 एससीसी 273.
ऑल इंडिया माईनॉरीटी सोशल वेलफेयर फ्रंट प्रवक्ता सरफराज़ हुसैन कहा कि ,किसी भी महीला को थाने में बिना अपराध के सीधे अपराधिक संलिप्तता के बिना रात भर रखना गैर कानूनी है ! राज्यपाल ,मुख्यमंत्री डीजीपी , से अनुरोध किया तथ्यों की जाँच करते हुए पूर्वी सिंहभूम जिला, शहर जमशेदपुर के साकची थाना प्रभारी के विरुद्ध उचित कानूनी कार्यवाही किया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा ना हो सके पीड़िता को इंसाफ मिले एवं झारखण्ड एवं देश में कानून का राज हो सके।

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