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संत शिरोमणि नामदेव जी का 752 वां प्रकाश उत्सव मना मिन्नत करना सीखें, वाहेगुरु सब कुछ देगा : फक्कड़

जमशेदपुर। संत शिरोमणि ब्रह्म ज्ञानी बाबा नामदेव जी का 752 वां प्रकाश उत्सव बड़े ही श्रद्धा के साथ रविवार को हयूम पाइप गुरुद्वारा कमेटी के तत्वावधान में बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया गया।
इस मौके पर पंजाब के पटियाला से विशेष तौर पर बुलाए गए भाई लाल सिंह फक्कड़ के जत्थे ने क्लासिकल राग में गुरुवाणी गायन कर संगत को निहाल कर दिया।
उन्होंने संत नामदेव जी के बाल काल में भगवान विठ्ठल गोविंदा को दूध पिलाने का प्रसंग रखते हुए कहा कि ईश्वर प्रसन्न होते हैं और दर्शन देते हैं तथा मनमुरादें भी पूरे करते हैं लेकिन सच्चे मन से मिन्नतें करना यदि मनुष्य सीख जाए।
दूध पियो गोविन्द राय, दूध पियो मेरे मन पतियाई, मैं अंधुले की टेक तेरा नाम खुंदकारा, जैसे शब्दों का गायन सुबह एवं शाम के दीवान में किया।

स्त्री सत्संग सभा की बीवी जसवीर कौर और भाई गुरशरण सिंह के जत्थे ने कीर्तन गायन किया तथा हजूरी ग्रंथी भाई हरजिंदर सिंह जी ने संत नामदेव जी के जीवन पर प्रकाश डाला और विश्व के समस्त जीवों के कल्याण की अरदास की। हजारों लोगों ने यहां श्रद्धा के साथ लंगर ग्रहण किया और इसकी व्यवस्था काफी उत्तम रही।
स्टेज संचालन कदमा गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान सरदार सुखविंदर सिंह ने किया और टांक क्षत्रिय सिख संगत की ओर से भाई मंजीत सिंह परिवार के बीबी जसविंदर कौर, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी प्रधान गुरमुख सिंह, कैसियर अजीत सिंह गंभीर, अकाली दल के जत्थेदार जरनैल सिंह, मानगो कमेटी के प्रधान भगवान सिंह, साकची कमेटी के प्रधान निशान सिंह, झारखंड सिख विकास मंच के गुरदीप सिंह पप्पू, गुरु नानक सेवा दल के प्रधान हरविंदर सिंह मंटू, गौरी शंकर रोड गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान अमरजीत सिंह गांधी, बारीडीह कमेटी के प्रधान कुलविंदर सिंह, परमजीत सिंह काले, जसवंत सिंह जस्सू, सतवीर सिंह सोमू, हरवीर सिंह पप्पू, कांग्रेस नेता परविंदर सिंह, सुखविंदर सिंह राजू, जसप्रीत सिंह हरकीरत सिंह, हरप्रीत सिंह को सिरोपाओ देकर सम्मानित किया गया।
आयोजक हयूम पाइप गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान दलबीर सिंह महासचिव गुरनाम सिंह मनजीत सिंह के अनुसार संत नामदेव जी ने समस्त मानव जाति को एक ईश्वर की संतान माना और कई पद (अभंग) लिखे और उनमें से 61 पद श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भी संग्रहित है। अपने जीवन का लंबा समय उन्होंने पंजाब में संगत को भक्ति मार्ग से जोड़ने का काम किया।

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