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श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ प्रारंभ

पहले दिन कलश यात्रा में ऐसा लगा मानो सड़कों पर पीला समंदर उमड़ आया हो

-31 ब्राह्मणों ने जलयात्रा के साथ ही पंचांग पूजन, ब्राह्मण वरण, मंडप प्रवेश, वेदी निर्माण और जलाधिवास भी संपन्न कराया

जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय थे प्रमुख यजमान

आज देवताओं का आवाहन पूजन, पाठ, जप, धन्नाधिवास, धृताधिवास, गन्धाधिवास और धूपाधिवास का कार्यक्रम होगा

जमशेदपुर। श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, केबुल टाउन का प्राण-प्रतिष्ठा महायज्ञ बुधवार से प्रारंभ हो गया। महायज्ञ के पहले दिन हजारों महिलाओं ने कलाश यात्रा कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कलश विधि विधान से स्थापित कर दिया गया। इसके बाद कलश यात्रा में मौजूद हजारों महिला भक्तों ने प्रभु प्रसाद ग्रहण किया। बुधवार को जलयात्रा के साथ ही पंचांग पूजन, ब्राह्मण वरण, मंडप प्रवेश, वेदी निर्माण और जलाधिवास भी संपन्न कराया गया। गुरुवार को देवताओं का आवाहन पूजन, पाठ, जप, धन्नाधिवास, धृताधिवास, गन्धाधिवास और धूपाधिवास का कार्यक्रम होगा।

बुधवार की सुबह 6 बजे से ही महिला श्रद्धालु श्री लक्ष्मीनारायण परिसर में जुटना शुरू हो गई थीं। यहां से महिला श्रद्धालुओं को बसों में बिठा कर सोनारी दोमुहानी नदी ले जाया गया। यहां सबसे पहले गौरी-गणेश जी का पूजन हुआ। इसके बाद वरुण पूजन, जलमात्रिका, स्थल मात्रिका, जीव मात्रिका और उड़द-दही की बलि दी गई।

प्रमुख यजमान जमशेदपुर पूर्वी के विधायक श्री सरयू राय थे। उन्होंने संकल्प किया। उनके साथ कई अन्य लोगों ने भी संकल्प किया। नदी तट पर 31 ब्राह्मणों ने पूजन विधि संपन्न करायी। इसके बाद सारे लोग मंदिर परिसर में आ गए। मंदिर में पंचांग पूजन, ब्राह्मण वरण, मंडप प्रवेश, वेदी निर्माण और जलाधिवास भी संपन्न कराया गया।

सभी अनुशासन में थे

हजारों की संख्या में सड़कों पर उमड़ आई महिला श्रद्धालुओं ने अनुशासन का पालन किया। सभी पंक्तिबद्ध थीं। आयोजक भी माइस से उन्हें लगातार पंक्तिबद्ध होकर चलने का निर्देश दे रहे थे। किसी ने अनुसासन तोड़ने की कोशिश नहीं की।

*पीले वस्त्र में अलौकिक नजारा*
अधिकांश महिला श्रद्धालुओं ने पीले रंग का वस्त्र धारण किया था। कुछेक ने लाल साड़ी भी पहन रखी थी। ये जब कतारबद्ध होकर पीले वस्त्रों में चल रही थीं तो देखने वाले टकटकी लगाए इनके अनुशासन की तारीफ करने लगते थे। सबके श्रीमुख से श्री नारायण…नारायण के बोल प्रस्फुटित हो रहे थे। एक अद्भुत छटा बिखर रही थी। लग रहा था मानो सड़क पर पीला समंदर उमड़ गया हो। साथ में चल रहे डीजे से भी भक्तिभाव के भजन बज रहे थे।

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