शीतल प्रसाद दुबे रचित उपन्यास सन्यासी लोकार्पित
जमशेदपुर। साहित्य समिति, तुलसी भवन द्वारा संस्थान के प्रयाग कक्ष में मासिक ‘कथा मंजरी’ सह हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कथा लेखिका गौरा पंत ‘शिवानी’ जयंती एवं नगर के वयोवृद्ध साहित्यकार श्री शीतल प्रसाद दुबे द्वारा लिखित हिन्दी उपन्यास ‘संन्यासी’ का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया । जिसकी अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष श्री सुभाष चन्द्र मुनका तथा संचालन श्री वसंत जमशेदपुरी ने की । इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य संस्थान के मानद महासचिव श्री प्रसेनजित तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन न्यासी श्री अरुण कुमार तिवारी द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम का आरंभ श्री नीलाम्बर चौधरी के सरस्वती वंदना एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन तथा साहित्यकारों के चित्रों पर पुष्पार्पण किया गया । तत्पश्चात् लेखिका गौरा पंत ‘शिवानी’ का साहित्यिक जीवन परिचय डाॅ० वीणा पाण्डेय ‘भारती’ ने प्रस्तुत की । कार्यक्रम के अगले सत्र में नगर के वयोवृद्ध साहित्यकार श्री शीतल प्रसाद दुबे लिखित हिन्दी उपन्यास “संन्यासी” का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों के कर कमलों द्वारा किया गया । लोकार्पित उपन्यास “संन्यासी” पर पाठकीय प्रतिक्रिया श्री ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र तथा लेखक श्री दूबे के व्यक्तित्व – कृतित्व पर काव्यात्मक प्रस्तुति डाॅ० यमुना तिवारी ‘व्यथित’ ने दी ।
सत्र ‘कथा मंजरी’ के मौके पर विभिन्न विषयों को स्पर्श करती हुई कुल 13 कहानियों का पाठ किया गया, जिसकी समीक्षात्मक टिप्पणी कथा पाठ के उपरान्त श्री सुभाष चन्द्र मुनका ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य के दौरान की । जो इस प्रकार है —
क्रम कथाकार कहानी का शीर्षक
१) श्री शीतल प्रसाद दूबे पार्टी
२) डाॅ० अरुण कुमार शर्मा माँ की सीख
३) श्री मंजु कुमारी मुठीया और कुरी
४) श्री ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र गुल्लक के सिक्के ५) श्रीमती वीणा कुमारी नंदिनी झोली भर सुख
६) श्रीमती रीना सिन्हा डर
७) श्रीमती माधुरी मिश्रा दीपावली
८) श्री कन्हैया लाल अग्रवाल सच्चाई के परिश्रम का सुफल
९) श्री भंजदेव देवेन्द्र कुमार व्यथित इलेक्सन
१०) श्री वसंत जमशेदपुरी सस्ती रोटी केन्द्र
११) श्री नीलाम्बर चौधरी रफ्फू
१२) श्रीमती सुदीप्ता जेठी राउत बेटी क्या संतान नहीं
१३) डाॅ० उदय प्रताप हयात घर का खाना।
इस अवसर पर मुख्य रुप से तुलसी भवन के न्यासी अरुण कुमार तिवारी, साहित्य समिति के सचिव डाॅ० अजय कुमार ओझा, ,बलविन्दर सिंह, रंदी सत्यनारायण राव एवं महेन्द्र तिवारी उपस्थित थे।