बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से खाली पदों पर पढ़ा रहे शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण वे बेहद तनाव में रहते हैं, जिससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रही है, इन शिक्षकों में अधिकांश ने कुल नौकरी का आधा हिस्सा व्यतीत भी कर लिया है और आज उन शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। आज देश में स्कूलों से लेकर महाविद्यालयों तक में शिक्षकों के आधे से ज्यादा पद रिक्त है। शेष पदों पर अस्थायी शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है जिसकी वजह से शिक्षण संस्थाओं की गुणवंता में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसका सीधा असर शिक्षकों के प्रति समाज में बनने वाली धारणा पर पड़ता है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा भी शिक्षण संस्थाओं में अस्थायी नियुक्तियां देश के भविष्य के लिए सही नहीं है। एक बेहतर शिक्षण संस्थान से बेहतर लोग निकलते हैं जो समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले कुछ दशकों से देश की अधिकांश शिक्षण संस्थाओं के गिरते प्रदर्शन का बड़ा कारण स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होना ही है। इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से भी अभी तक कोई स्पष्ट नीति सामने आती दिखाई भी नहीं देती है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के तहत देश की शैक्षणिक स्थिति को बदलने का जो प्रयास कर रही है वह सराहनीय तो है, लेकिन इसमें तेजी लानी भी जरूरी है। सरकार को चाहिए कि शैक्षणिक संस्थाओं मैं अस्थाई पदों के चलन को समाप्त कर शिक्षकों की नियमित नियुक्ति करने की प्रक्रिया और प्रयास गंभीरता से शुरू करें। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन लाना जरूरी है। अतः सभी सरकारों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वीता से ऊपर उठकर शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनकी नियुक्ति पर ध्यान देना चाहिए तभी भारत विकसित देश बनने के सपने को साकार करने में सक्षम हो सकेगा।
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