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व्यक्ति व्यक्ति विप्र वंश का परम् पूज्य प्रतिभान हैं।
व्यक्ति व्यक्ति विप्र वंश का
परम् पूज्य प्रतिभान हैं।
भार्या भग्नि माताएं
नारी समाज की शान हैं।।
घिर आया घोर संकट
जब भी सुर-साम्राज्यों में
दीक्षित किया क्षत्रियों को
महिदेवों ने ही राज्यों में।।
त्याग-तपस्या तुंग-तपस्वियों का
क्या तुमको ज्ञान नहीं!
विश्वामित्र,विष्णुदत्त,दधीचि
के कृत्यों का तुमको भान नहीं?
तुम मंदिरों के प्रवर-पुजारी
अग्निहोत्री,चतुर्वेदी, ब्रह्मचारी।
बांध शिखा आर्यश्रेष्ठ बढ़े तब
तन से निकले नभ की चिंगारी।।
हो तुम कौन? किंचित
प्रश्न पूछो अपने-आप से।
संकटों में भी संस्कार संजोया
पितरों ने प्रबल प्रताप से।।
प्रथम-पूज्य पथ-प्रदर्शक,प्रणेता
कैसे करूँ तेरा बखान मैं?
चरणों में मस्तक धर करूँ
बारंबार प्रणाम मैं।।
आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर अम्बिकापुर