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विभिन्न ग्राम सभाओं के संयुक्त तत्वावधान में मनोहरपुर प्रखंड कार्यालय में ग्रामीणों ने दिया एक दिवसीय धरना

उपायुक्त के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा मांग पत्र

केंद्र की भाजपा सरकार ईसाई और सरना आदिवासियों को आपस में लड़ाने का हमेशा करता है प्रयास:- बहादूर उरांव

संतोष वर्मा

चाईबासा। मनोहरपुर प्रखंड के कई गांव के ग्रामसभा के संयुक्त बैनर पर आज प्रखंड मुख्यालय के सामने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। संयुक्त ग्रामसभा का संचालन करते हुए आस संयोजक सुशील बारला ने कहा कि धरना प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य प्रखंड के विभिन्न गांव में व्याप्त समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना है। ताकि प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त,पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा को भी मनोहरपुर प्रखंड की समस्याओं का उन्मूलन करने के लिए प्रशासनिक कार्यसंस्कृति के तहत ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठता के साथ संवेदनशील होकर काम करने के लिए विवश होना पड़े । धरना प्रदर्शन के बाद उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा को प्रखंड विकास पदाधिकारी,मनोहरपुर के द्वारा 16 सूत्री मांग पत्र प्रेषित किया गया। मांग पत्र सौंपने के क्रम में आस संयोजक सुशील बारला ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को अबुवा आवास का चयन करने में जो तथाकथित ग्रामसभा के द्वारा सूची तैयार किया गया है,वह दोषपूर्ण बताया। कयोंकि सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों को अबूवा आवास के लिए आयोजित तथाकथित ग्रामसभा के द्वारा तैयार किया गया सूची में नाम दर्ज नहीं किया जा सका। इसलिए संविधान प्रदत्त पारंपरिक ग्रामसभा के द्वारा ही अवुआ आवास के लिए सूची तैयार किया जाना चाहिए था।झारखंड आंदोलनकारी पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ईसाई और सरना आदिवासियों को आपस में लड़ाने का हमेशा प्रयास करता है। हम आप लोगों से आग्रह करते हैं भाजपा और आरएसएस की ऐसे षड्यंत्र से बचे और आपस में भाईचारा को खराब मत करें। कयोंकि कोई आदिवासी ईसाई धर्म को अपना लिया हो तो उसका जाति आदिवासी से नहीं हटता। साथ ही हम आदिवासियों को राजनीतिक रूप से जागरूक होने की अवश्यकता है।राजनीतिक जागरूक नहीं होने के कारण ही हम आदिवासियों को चुनाव के समय हंडिया, दारू और मुर्गा खस्सी में ठग दिया जाता है। इसलिए हम आप लोग से अपील करते है आप लोग पढ़े लिखे ईमानदार और काम करने वाले नव जवानों को वोट देकर जिताने का काम करो। झारखंड पुनरूत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने कहा कि सारंडा के आदिवासी मूलवासियों को सबसे पहले बन नीति के नाम पर विस्थापित किया गया। फिर देश आजाद होने के बाद वन नीति के द्वारा कहा गया कि पर्यावरण के लिए वन संरक्षण आवश्यक है।लेकिन अब केंद्र की भाजपा सरकार उन वन क्षेत्र में व्याप्त संपदा की खनन करने के लिए संशोधन करना चाहती है।जबकि वन अधिकार अधिनियम बनाकर आदिवासी मूलवासियों को कई अधिकार संरक्षित किया गया। लेकिन उसका लाभ आदिवासी मूलवासियों को मिल नहीं रहा है। कहा गया कि सामुदायिक और निजी वन पट्टा दिया जाएगा। साथ ही वनोपज पर भी आदिवासी मूलवासियों का पारंपरिक रूप से अधिकार रहेगा। लेकिन मनोहरपुर प्रखंड के कई ऐसा गांव है जहां युग युग से जंगल साफ कर गांव बसाया गया। लेकिन अब तक उन गांव को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिला। और वन पट्टा का प्रक्रिया भी अधिकारियों का उदासीनता का भेंट चढ़ रहा है।जंगल में आग लगा है लेकिन वन विभाग का अता पता नहीं है।धरना प्रदर्शन को नरेंद्र केरकेट्टा,बलदेव जाते,शांतियाल कंडाईबुरू, लोदरो होनहागा,संजय किंबो,जेम्स लुगुन,सूरज पूर्ति, अमृत मांझी,सरोज महतो,जीवन कंडाईबुरु, बादल सिंह,इजराइल बाग, नेल्सन लुगुन,सुनील भेंगरा,मसीह प्रकाश लोमगा,मोजेश चेरोआ,रायसिंह चेरोआ,मनोहर लॉमगा ने भी संबोधित किया। संयुक्त ग्रामसभा में मुख्य रूप से तीमरा, लाईलोर, डींबू उली, कुदली बाद, जुली अंबा, बिटकिलसोय, दीघा, दुमांग दीरी , मरांग पोंगा, तोलको बाद सहित अन्य गांव के ग्रामसभा के सदस्यगण हजारों की संख्या में शामिल थे।

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