विधानसभा अध्यक्ष से विधायक सरयू राय ने कई बिन्दुओ पर जानकारी देकर माँगा जबाव
जमशेदपुर /रांची। जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को जानकारी देते हुए कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड विधान सभा के द्वादश (मानसून) सत्र-2023 में दिनांक 01.08.23 को पूछे जाने वाले मेरे प्रश्न संख्या-अ.सू.14 का गलत एवं भ्रामक उत्तर देकर सदन को गुमराह करने के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संबंधित अधिकारी तथा झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के उपर सदन की अवमानना की कार्रवाई चलाने के संबंध में
विधान सभा के द्वादश (मानसून) सत्र-2023 में दिनांक 01.08.2023 को मेरे अल्पसूचित प्रश्नोत्तर की प्रति संलग्न है (अनुलग्नक-1)। इस प्रश्न का लिखित उत्तर वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक 2920, दिनांक 31.07.23 द्वारा सदन पटल पर दिया गया है। विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने के कारण इस पर वाद-विवाद नहीं हो सका। अफसोस है कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा मेरे प्रश्न का दिया गया उत्तर पूर्णतः गलत और भ्रामक है।
भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग के संबंध में मैंने अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को एक पत्र, पत्रांक-आ.का.(व.प.)/38/182, दिनांक 16.06.2023 (अनुलग्नक-2) लिखा था, जिसकी प्रतिलिपि अध्यक्ष, झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को भी दिया था। चांडिल रेलवे साईडिंग के संबंध में अध्यक्ष, झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को एक पत्र, पत्रांक-आ.का.(व.प.)/38/181, दिनांक-15.06.2023 (अनुलग्नक-3) के माध्यम से सूचना दिया था और आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। इसके बावजूद विभाग द्वारा इस तरह का गलत एवं भ्रामक उत्तर सदन पटल पर रखा जाना विधानसभा की अवमानना है तथा सही उत्तर प्राप्त करने के विधानसभा सदस्य के विशेषाधिकार का हनन है।
मेरे प्रश्न की कंडिका-1 के उत्तर में विभाग ने चांडिल और भुरकुण्डा रेलवे प्लेटफॉर्मों पर साईडिंग स्थापना को नियमतः सही बताया है और कहा है कि ‘‘14 मार्च, 1990 के पूर्व स्थापित उद्योगों को अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने से मुक्त रखा गया है। यह एक हरी श्रेणी की इकाई है। स्थापना नियमतः सही है।’’ वस्तुस्थिति यह है कि कोई भी उद्योग जो 1990 के पूर्व स्थापित किया गया है अथवा हरित श्रेणी में है, उसको स्थापना एवं परिचालन अनुमति (CTE & CTO) से छूट नहीं दी गई है। क्या विभाग के इस जवाब का मतलब है कि चांडिल और भुरकुण्डा रेलवे स्टेशन और यहाँ रेलवे साईडिंग बिना स्थापना एवं परिचालन की सहमति के संचालित हो रही है ? भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग के संबंध में झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने जो उत्तर दिया है वह पर्षद के ही पत्रांक-05, दिनांक-04.05.2011 (संलग्न, अनुलग्नक-4) और पत्रांक बी-8, दिनांक 22.05.2013 (संलग्न, अनुलग्नक-5) के निर्देशों के विपरीत है। पर्षद का पत्रांक बी-8, दिनांक 22.05.2013 में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी उद्योग/ साईडिंग की स्थापना निम्नांकित मानदण्ड के अनुरूप होगी:-
क्र. स्थल रेलवे साईडिंग से न्यूनतम दूरी
1. नेशनल हाईवे/स्टेट हाईवे 100 मीटर, 2. स्कूल/कॉलेज/अस्पताल/पुरातत्व स्थल 500 मीटर 3. नदी/झील/तालाब 100 मीटर, 4. आबादी 100 मीटर (कोई आबादी नहीं),5. वन 200 मीटर,6. रेलवे लाईन 50 मीटर।
चांडिल और भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग स्थापना के मामले में इन मानदंडों की घोर अवहेलना हुई है। गूगल अर्थ मैप से अथवा स्थल निरीक्षण से इसकी तस्दीक की जा सकती है।
दिनांक 04.05.2011 की अधिसूचना में अंकित है कि ‘‘पर्षद मंडल की 22वीं बैठक दिनांक 19.04.2011 के कार्यावली संख्या-7 में लिए गए निर्णय के आलोक में रेलवे साईडिंग, जहाँ पर रेलवे का स्वामित्व है, के एन.ओ.सी./सहमति के लिए आवेदन पत्र, रेलवे द्वारा जमा करने पर ही पर्षद में स्वीेकार किये जायेंगे। पर्षद द्वारा रेलवे साईडिंग का एन.ओ.सी./सहमति आदेश रेलवे को निर्गत किया जायेगा। किसी बाह्य एजेंसी को रेलवे साईडिंग के लिए एन.ओ.सी./सहमति आवेदन पत्र पर्षद में स्वीकार एवं प्रदान नहीं किए जायेंगे।’’ परन्तु भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग के मामले में इन्होंने CTE/CTO मेसर्स गोदावरी कमोडिटिज लिमिटेड को दे दिया है, जो बाह्य एजेंसी है (एन.ओ.सी. की प्रति संलग्न, अनुलग्नक-6)।
प्रश्नोत्तर की कंडिका-2 के उत्तर में भी विभाग ने सदन को गुमराह किया है और कहा है कि कोयला का भंडारण पर्षद से सीटीओ प्राप्त क्षेत्र पर ही किया जाता है। भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग के संबंध में दिनांक 05.12.2022 को जारी पत्र में पर्षद ने 71 डिसमिल क्षेत्रफल पर ही ब्ज्म्ध्ब्ज्व् दिया है। स्थल पर जाने पर पता चलता है कि इससे कई गुना अधिक क्षेत्र पर कोयले का भंडारण किया हुआ है। प्रश्नोत्तर की कंडिका-2 में यह उल्लेख भी है कि आग लगने के दौरान वहाँ से कोयले को अन्य सुरक्षित जगह पर रखा गया है। क्या विभाग बताएगा कि वहाँ पर आग कब से कब तक लगी रही ? कोयला को कब सुरक्षित स्थल पर भंडारित किया गया ? जिस सुरक्षित जगह पर इसका भंडारण किया गया, उसके लिए पर्षद से CTE & CTO मिला या नहीं ?
प्रश्न की कंडिका-3 के उत्तर को सरकार ने चांडिल रेलवे साईडिंग के संबंध में आंशिक स्वीकारात्मक बताया है और भुरकुण्डा रेलवे साईडिंग के संबंध में अस्वीकारात्मक बताया है। सवाल है कि क्या इन दोनों स्थानों पर स्थापित रेलवे साईडिंग की दूरी पर्षद द्वारा निर्धारित CTE & CTO के उन मानदंडों के अनुरूप है, जिसका उल्लेख उपर्युक्त तालिका में हैं ? मैंने वहाँ जाकर देखा और पाया कि ऐसा नहीं है। इन मानदंडों का घोर उल्लंघन हुआ है।
विभाग ने अपने उत्तर में यह भी बताया है कि चांडिल और भुरकुण्डा दोनों ही साईडिंग स्थल के आसपास किसी के भी बीमार होने की सूचना नहीं है। परन्तु क्या इसके लिए वहाँ की आबादी का ‘‘लंग्स फंक्शन टेस्ट’’ कराया गया है ? क्या वहाँ के लोगों में साँस और पेट की बीमारियों के बारे में अधिकारिक सूचना प्राप्त की गई हैं ? मैं दावा के साथ कह सकता हूँ कि भुरकुण्डा और चांडिल रेलवे साईडिंग के 50 से 100 मीटर के भीतर बस्तियाँ बसी हुई हैं और प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय भी हैं। इस सूचना को गूगल अर्थ से प्राप्त तस्वीरों से संपुष्ट किया जा सकता है। इस संबंध में अंग्रेजी में तैयार चार पृष्ठों का एक सचित्र प्रतिवेदन साथ में संलग्न कर रहा हूँ (अनुलग्नक-7), जिसमें वस्तुस्थिति का वर्णन है और जो स्वतः स्पष्ट है। चित्र गुगल अर्थ से प्राप्त किये गये है।
उपर्युक्त विवरण के आलोक में अनुरोध है कि गलत और भ्रामक उत्तर देकर सदन को गुमराह करने के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड के जिम्मेदार अधिकारियों तथा झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के विरूद्ध सदन की अवमानना की कार्रवाई करना चाहेंगे। साथ ही इस बारे में रामगढ़ और सरायकेला-खरसाँवा जिला के उपायुक्त एवं जिला खनन पदाधिकारी से भी एक स्पष्ट वक्तव्य की माँग करना चाहेंगे। इस विषय में रेल विभाग के अधिकारियों से भी वस्तुस्थिति पर एक स्वभारित प्रतिवेदन देने का निर्देश करना चाहेंगे।