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विद्यालय वो पवित्र स्थान है जहां अमीर गरीब ऊंच-नीच धर्म जाति मजहब का कोई स्थान ही नहीं है। वह सारे बच्चे एक समान हैं: लक्ष्मी सिन्हा

पटना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि सभी पंथों से ऊपर राष्ट्र धर्म है। विविधता एकता की बातें खूब की जाती है। सैद्धांतिक तौर पर ये सर्वमान्य है। संविधान में इसे अक्षुण्ण रखने के लिए कई प्रविधान है। मगर कभी_कभार इन संवैधानिक उपबंधों की मनमाफिक व्याख्या कर अधिकारों का इस तरह इस्तेमाल किया जाता है कि अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाता है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि ताजा मामला कर्नाटक से आया है। जिसमें हिजाब और भगवा गमछा को लेकर तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। स्कूल_ कॉलेज बंद कर दिए गए। दरअसल सभी पंचों से ऊपर राष्ट्रधर्म होना चाहिए। हमारी निष्ठा संविधान के प्रति होनी चाहिए। लिहाजा अगर कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए ड्रेस कोड जारी किया तो इसके पालन को तरजीह देने की जरूरत थी। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जब जमीनी स्तर पर इस तरह के मामले जोर पकड़ते हैं। नेता अपने-अपने वोट बैंक के हिसाब से बयानबाजी शुरू कर देते हैं। उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहता कि सुशासन सिर्फ भौतिक विकास का पर्याय नहीं है बल्कि इस तरह का माहौल उत्पन्न हो ताकि लोगों में जातीयता की भावना मंद पडे। संप्रदायिक सौहार्द कायम रहे। जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बल मिले। मगर जिन कंधों पर यह जिम्मेवारी है उनमें ही इस विविधता को वोट बैंक के तौर पर भुनाने की प्रवृत्ति पाई जाती है। अधापि पिछले कुछ वर्षों से कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का एक समूह बना है। जिसने जाती, संप्रदाय से ऊपर उठकर मतदान करना शुरू कर दिया है। क्या निकट भविष्य के लिए शुभ संकेत है।

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