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विजयदशमी
ब्राह्मण था पर अपने मार्ग से
भटक गया था
पुण्य की कथा सुनाने वाला
पापों से भर गया था।
वेद ,पुराण, भक्ति ,शक्ति
के ज्ञान से पूर्ण था परंतु
अपने को कुकर्म और दुराचार
में चूर था ।
मैदानों में रावण का पुतला
जलाने हजारों रावण जाते हैं
किंतु अपने भीतर के राक्षस
को नहीं मार पाते हैं ।
दूसरों की बुराई का गुणगान करते
हो पहले स्वयं को बुराई से दूर करो ।
अपने लिए अपने परिवार के लिए
हमेशा खड़े रहो ,आगे बढ़ो, लड़ो
और विजय प्राप्त करो।
चलो इस विजयदशमी अपनी
बुराई का अंत करें
प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद लेकर
हम भी अपने मन को निर्मल करें।
रोशनी राजपूत
गंज बासौदा (मध्य प्रदेश)