वक्त के थपेड़े
वक्त के थपेड़े अक्सर बता देते हैं ।
जीवन में कौन पराया कौन अपना है ?
झूठी आस दिखा अक्सर तोड़ते जो सपना है ।
वादो के बाज़ार में खाते जो झूठी कसमें है ।
रिश्तों के नाम पर निभाते जो झूठी रस्में है ।
पग पग की ठोकरें लेती हमारी जो परीक्षा है।
जिनसे गुजर कर मुश्किल राहों में भी साँस लेती हमारी इच्छा है ।
किसी का जीवन नहीं होता पिजड़े में बन्द परिन्दे जैसा ।
माना कठिन होता है कमाना पैसा ।
पर उससे भी कठिन होता रिश्तें दिल से निभाना ।
साथ ही सभी रिश्तों को एक नज़र से देखना ।
अपनी औलाद का दर्द तो हर माँ महसूस कर लेती है ।
पर और की औलाद पर जाने क्यूँ नज़रें बदल लेती है ?
किसी के रोकने पर भी किसी को वक्त नहीं थमता ।
जिसकी जो किस्मत संग उसकी मेहनत वही उसको मिलता ।
पर आपके बुरे वक्त पर कौन अपना आपके पास होता ।
वक्त के थपेड़े मे अक्सर उसका साथ आपके पास होता ।
निवेदिता सिन्हा
भागलपुर , बिहार