राखी पर चीन को भारत ने दिया 5 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान : सुरेश सोंथालिया
चीनी राखियों के बहिष्कार के साथ आज देश भर में उत्साह से मना रक्षाबंधन का पर्व
जमशेदपुर। लगातार दो वर्ष से कोविड के प्रकोप के बावजूद पिछले वर्ष की तरह आज भी रक्षाबंधन का त्योहार बेहद उत्साह के साथ देश भर में मनाया गया जिसमें बहनों ने अपने भाइयों को राखी बांधकर उनके दीर्घ जीवन और भाइयों के घरों में सौहार्द, सौभाग्य एवं आरोग्यता की कामना की वहीँ भाइयों ने भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप बहनों की रक्षा का वचन देकर उन्हें सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद दिया !कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के हिन्दुस्तानी राखी को अपनाने के आव्हान के चलते आज के रक्षाबंधन में देश भर में बहनों ने चीनी राखियों का पूर्ण बहिष्कार किया और केवल भारतीय सामान से बनी राखियां ही भाइयों को बाँधी! कैट के इस आव्हान का दिल्ली सहित देश भर में बेहद असर दिखाई दिया जिसके चलते जहाँ बाज़ारों में चीनी राखी या चीन का राखी का सामान दिखाई नहीं दिया वहीँ दूसरी ओर लोगों ने भी स्वत: चीनी राखियों का बहिष्कार किया।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थालिया ने बताया की इस वर्ष हिन्दुस्तानी राखी के आव्हान के तहत देश के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों ने देश भर के सभी शहरों में कैट के व्यापारी नेताओं ने गत एक महीने में घरों में काम करने वाली महिलायें, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और स्लम बस्तियों में रहने वाली निचले वर्ग की महिलाओं सहित ऐसे लोग जिनका कोरोना के कारण रोजगार बंद हो गया था । उनसे हिन्दुस्तानी सामान से बनी राखियां बड़ी संख्यां में बनवाई जिसमें विशेष रूप से आजादी अमृत महोत्सव राखी, अक्साई चीन हमारा है के सन्देश वाली राखी, जय हिन्द राखी, वन्देमातरम राखी तथा वैदिक राखी देश भर में आकर्षण का केंद्र रहीं ! भारतीय राखियों के कारण इस वर्ष चीन को 5 हजार करोड़ से ज्यादा के राखी कारोबार से देश भर के व्यापारियों ने बड़ी चोट दी !
एक अनुमान के अनुमान के अनुसार कैट ने विभिन्न राज्यों के व्यापारिक संगठनों के सहयोग से करोड़ों राखियां बनवाई जिन्हे उन्ही संगठनों के द्वारा व्यापारियों एवं उनके कर्मचारियों और आम लोगों को बाज़ारों में स्टाल लगाकर यह राखियां वितरित की गई !प्रति वर्ष देश में लगभग 50 करोड़ राखियों की मांग रहती है ।
कैट के अलावा देश भर में बड़ी संख्यां में राखी निर्माताओं और सामाजिक संगठनों ने भी अपने अपने स्तर पर भारतीय सामान से बनी राखियां बनवाई ।
कैट के आव्हान पर देश भर में पहली बार अनेक प्रकार की विशिष्ट राखियां बनवाई गई जिसमें नागपुर में बनी खादी की राखी, जयपुर में सांगानेरी कला की राखी ,पुणे में खेती के बीज राखी,मध्य प्रदेश के सतना में ऊन की राखी, झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी वस्तुओं की राखी,पलास की राखी, आसाम के तिनसुकिया में चाय की पत्तियों की राखी ,कोलकाता में जूट की राखी ,मुंबई में सिल्क की राखी, केरल में खजूर की राखी,कानपुर में मोती और बुंदों की राखी, बिहार में मधुबनी एवं मैथिली कला की राखी, पॉन्डिचेरी में स्टोन राखी, बंगलौर में फूलों की राखी, आदि प्रमुखता से बनाई गई जिससे अनेकता में एकता की भारत की अलग पहचान पूरे तौर पर दिखाई दी ।
सिंहभूम चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स के महा सचिव श्री भरत वसानी ने कहा कि कोविड काल के बाद बाज़ारों में उमड़ी भीड़ से व्यापारी रोमांचित है और बाज़ार में देसी राखी की माँग सबसे जयदा थी।कोलहान में राखी महोत्सव उल्लास के साथ मनाया गया।
इस श्रंखला के अगले चरण में कैट के इस वर्ष की दिवाली को पूर्ण रूप से ” हिन्दुस्तानी दिवाली” के रूप में मनाने की घोषणा की है और इस बार दिवाली उत्सव में किसी प्रकार का कोई भी चीनी सामान उपयोग में नहीं लाया जाएगा।