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रंकिनी मंदिर का तोरण द्वार बना आकर्षण का केंद्र

सौरभ कुमार
जादूगोड़ा मां रंकिणी मंदिर का मुख्य तोरण द्वार बनना खुशी की बात है, मंदिर में प्रवेश करने के कई नियम हैं और हम उन नियमों का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले ध्यान में रखी कुछ बातें हमारे जीवन में समृद्धि लाती हैं। मान्यता है कि जब हम किसी को सम्मान देते हैं तब उसके सामने झुककर प्रणाम करते हैं या फिर उसके पैर छूते हैं और उसे नमस्कार करते हैं। ऐसे ही मंदिर में प्रवेश करते समय हम झुककर द्वार को प्रणाम जरूर करते हैं क्योंकि यह वो पहला चरण होता है जब हम ईश्वर के प्रति सम्मान दिखाते हैं। मंदिर प्रवेश के पूर्व ही जब आप द्वार को झुककर प्रणाम करते हैं तो ये आपके आत्मसमर्पण के संकेत देता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रवेश से पहले ही आपकी आत्मा और शरीर सबकुछ ईश्वर को समर्पित हो जाता है, मंदिर’ का अर्थ होता है- मन से दूर कोई स्थान। ‘मंदिर’ का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ है और मंदिर को द्वार भी कहते हैं, मैं अपने आप को इतना भाग्यशाली मानता हूं कि मंदिर मेरे घर के बहुत ही समीप है। मां से मेरी यही प्रार्थना है कि वह अपना आशीर्वाद हम सब पर हमेशा यूं ही बनाए रखें।

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